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आज ही के दिन यानी 5 अक्टूबर 1864 को भारत के तटीय राज्य पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान ने भारी तबाही मचाई थी. कलकत्ता (कोलकाता) शहर में भीषण बाढ़ आ गई थी. इस तूफान ने 60 हजार जानें ली थीं. तूफान के जाने के बाद हजारों जानें संक्रमण के चलते चली गई थीं.
बंगाल की खाड़ी में उठे इस तूफान ने पूरा शहर और बंदरगाह तबाह कर दिया था. इसे फिर से बनाने में कई साल लगे थे. इसके बाद साल 1865 में देश में पहली बार समुद्री तूफानों के लिए चेतावनी सिस्टम बनाया गया था. फिर कलकत्ता चेतावनी (साइक्लोन सिग्नल) देने वाला पहला बंदरगाह बना.
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जानें कोलकाता शहर का इतिहास
बंगाल के इतिहास से भी दिलचस्प है कोलकाता का इतिहास. 300 वर्ष से भी अधिक पुराना शहर. कवि और साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगौर, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, जगदीश चन्द्र बोस और महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चन्द्र बोस की जन्मभूमि है ये शहर. ये एक ऐसा शहर जहां एशिया का अनोखा 467 मीटर लंबा हावड़ा ब्रिज स्थित है.
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भारत के सबसे बड़े शहर और प.बंगाल की राजधानी, कोलकाता ब्रिटिश शासनकाल में भारत की राजधानी रहा. 1911 में वे राजधानी को दिल्ली ले आए. पौराणिक कथा है कि कोलकाता का नाम तब पड़ा था जब सती ने अपने पिता द्वारा अपने पति भगवान शिव के अपमान के बाद आत्म-सम्मान के कारण खुद को स्वाहा कर लिया था.