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यूपी बोर्ड: 18 फीसदी स्टूडेंट्स हिंदी में फेल

उत्तर प्रदेश माध्यमिक परीक्षा बोर्ड के हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षाओं में बड़ी संख्या में छात्रों के हिंदी में फेल होने की बात सामने आई है, साथ ही इस पर राजनीति शुरू हो गई है.

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aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 19 मई 2015,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

उत्तर प्रदेश माध्यमिक परीक्षा बोर्ड के हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षाओं में बड़ी संख्या में छात्रों के हिंदी में फेल होने की बात सामने आई है, साथ ही इस पर राजनीति शुरू हो गई है. इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने समाजवादी पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि अखिलेश सरकार की लापरवाही से राज्य में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है, हालात यह कि सरकारी स्कूलों के छात्र रैंकिंग तक में नहीं आ पाए. इतना ही नहीं, 18 फीसदी छात्र हिंदी में फेल हो गए जो शर्मनाक बात है.

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प्रवक्ता ने कहा कि सपा शासन के दौरान राज्य में शिक्षा व्यवस्था बदहाली के दौर से गुजर रही है, विद्यालयों में टीचर्स के पद खाली हैं. योग्यता रखने वाले लोग सड़क पर नौकरी की आस में भटक रहे हैं. स्टूडेंट्स समुचित शिक्षा न मिलने के कारण हिंदी में फेल हो रहे हैं. हालात यह कि पिछले सालों की तुलना में 2 फीसदी के लगभग हाईस्कूल का और 3 प्रतिशत से ज्यादा इंटरमीडिएट का रिजल्ट खराब आया है.

उन्होंने कहा कि हिंदी की वकालत करने वाले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की पार्टी शासित राज्य में 18 फीसदी स्टूडेंट्स के हिंदी में फेल होने से अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है. हिंदी भाषी उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था इतनी बदहाल हो चुकी है कि लगभग एक लाख छात्र पास नहीं हो पाए.

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भाजपा प्रवक्ता ने राज्य सरकार से मांग की कि वह यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणामों को लेकर चिंतन करे और उन कारणों का पता लगाए जिनकी वजह से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर गिरा है. पार्टी ने सरकारी विद्यालयों में टीचर्स के खाली पदों को जल्द भरे जाने की मांग भी की है.
- इनपुट: IANS

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