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18 साल की तलाकशुदा मुस्लिम लड़की की पीएम मोदी से गुहार- लागू हो यूनिफॉर्म सिविल कोड

ट्रिपल तलाक के खिलाफ जंग लड़ रही एक 18 साल की मुस्लिम लड़की ने पीएम मोदी से गुहार लगाई है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं. उसका कहना है कि इस प्रथा ने मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को बर्बाद कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है मामला
मोनिका शर्मा
  • पुणे,
  • 23 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

ट्रिपल तलाक के खिलाफ जंग लड़ रही एक 18 साल की मुस्लिम लड़की ने पीएम मोदी से गुहार लगाई है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं. उसका कहना है कि इस प्रथा ने मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को बर्बाद कर दिया है.

शादी के दो साल बाद ही दिया तलाक
16 साल की उम्र में अर्शिया का निकाह सब्जियों का व्यापार करने वाले एक अमीर शख्स से हुआ था. लेकिन शादी के दो साल बाद ही उसके पति मोहम्मद काजिम बगवान ने ट्रिपल तलाक देकर उससे अपना रिश्ता तोड़ लिया. अब वो अर्शिया को फिर से अपनी जिंदगी में वापस लाने का तैयार नहीं है. उसका कहना है कि अब उसके दिल में अर्शिया के लिए कोई जगई नहीं. इतना ही नहीं, काजिम ने अर्शिया को आठ महीने के अपने बच्चे के साथ घर छोड़ने के लिए कह दिया.

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इस परंपरा को रोकें पीएम मोदी
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए अर्शिया ने कहा, 'मैं पीएम मोदी से मुझ जैसी महिलाओं की मदद करने और ट्रिपल तलाक की परंपरा को रोकने की गुहार लगाती हूं, जिसने न जाने कितनी औरतों की जिंदगी बर्बाद कर दी.'

ट्रिपल तलाक को दी चुनौती
अर्शिया ने ट्रिपल तलाक को अपनी किस्मत मानने से इनकार कर दिया और तय कर लिया कि वो इस फैमिली कोर्ट में चुनौती देगी. अर्शिया ने बताया कि उससे वादा किया गया था कि वो शादी के बाद भी पढ़ाई जारी रख सकती है लेकिन बाद में ससुरालवाले वादे से मुकर गए. शादी से पहले वो 11वीं कर चुकी थी और अब वो आगे की पढ़ाई शुरू करेगी और अपने पैरों पर खड़ी होगी.

पिता ने कहा- बेटी की शादी करके गलती की
इस जंग में बेटी का हर कदम पर साथ दे रहे निसार बगवान ने कहा, 'सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए पहल करनी चाहिए. जैसा मेरी बेटी के साथ हुआ, ऐसा किसी और के साथ नहीं होना चाहिए. मैंने अपनी बेटी की पढ़ाई जारी न रखते हुए उसकी शादी करके बहुत बड़ी गलती की.'

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सुप्रीम कोर्ट में चल रही है बहस
आपको बता दें कि ट्रिपल तलाक को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में है. हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब भी ट्रिपल तलाक के सपोर्ट में है लेकिन सरकार ने अपने जवाब में साफ कह दिया है कि संविधान में इसकी कोई जगह नहीं है.

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