
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को 1984 के सिख विरोधी दंगे में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हुए जांच एजेंसी को दंगे में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की भूमिका की जांच जारी रखने का निर्देश दिया. इसके साथ ही अदालत ने सीबीआई को मामले के अन्य गवाहों के बयान दर्ज करने का भी निर्देश दिया है.
अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें टाइटलर को क्लीन चिट दी गई है. अदालत ने सीबीआई से मामले की जांच जारी रखने का निर्देश देते हुए कहा कि हथियारों के व्यापारी अभिषेक वर्मा द्वारा दिए गए तथ्यों की भी जांच की जाए. वर्मा का उल्लेख समापन रिपोर्ट में गवाह के रूप में किया गया है.
अभिषेक वर्मा ने अपने बयान में सीबीआई से कहा था कि टाइटलर ने 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों में क्लीन चिट मिल गई थी. टाइटलर ने मामले के एक गवाह को धन देने और उसके बेटे को विदेश में स्थापित करने का प्रलोभन देकर प्रभावित करने की कोशिश की थी.
इससे पहले की सुनवाई में सीबीआई ने कहा था कि अगर अदालत कहेगी तो वह मामले की आगे की जांच के लिए तैयार है. सीबीआई ने यह बयान शिरोमणि अकाली दल की उस अर्जी के जवाब में दिया था, जिसमें अकाली दल ने तीन गवाहों का पता देने की बात कही थी. सीबीआई ने अदालत को बताया था कि इन तीनों से मिल पाना संभव नहीं है.
दंगा पीड़ित लखविंदर कौर के वकील एच.एस. फुल्का ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए अदालत को क्लोजर रिपोर्ट को मंजूर नहीं करना चाहिए. कौर के पति बादल सिंह की दंगों में हत्या कर दी गई थी. उन्होंने टाइटलर को क्लीन चिट देने वाली क्लोजर रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी हुई है. सीबीआई पहले भी दो बार टाइटलर को क्लीन चिट दे चुकी है.