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सुकमा में 2000 कमांडो की तैनाती जल्द, राजनाथ सिंह का फैसला

सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने आज बताया कि सुकमा और आसपास के इलाकों में सुरक्षा बल के जवानों पर 24 अप्रैल को हुये हमले के बाद हाल ही में नक्सलियों के अब तक के सबसे घातक हमलों को देखते हुये यह फैसला किया गया है.

 नक्सली हमलें को बड़ा फैसला नक्सली हमलें को बड़ा फैसला
BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2017,
  • अपडेटेड 5:27 AM IST

सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने आज बताया कि सुकमा और आसपास के इलाकों में सुरक्षा बल के जवानों पर 24 अप्रैल को हुये हमले के बाद हाल ही में नक्सलियों के अब तक के सबसे घातक हमलों को देखते हुये यह फैसला किया गया है. इससे पहले 11 मार्च को नक्सल हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान और 24 अप्रैल के हमले में 25 जवान शहीद हो गये थे.

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अधिकारी ने बताया कि इस तरह के हमलों के मद्देनजर इस क्षेत्र में कोबरा कमांडो की कम से कम 20 से 25 कंपनियां तैनात करने की कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है. कोबरा कमांडो की एक कंपनी में लगभग 100 जवान होते हैं. इनकी तैनाती फिलहाल पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना और मध्य प्रदेश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाकों में है.

उन्होंने यहां से जल्द ही कोबरा कमांडो को सुकमा क्षेत्र में स्थानांतरित करने की पुष्टि की. सिर्फ खुफिया सूचनाओं पर नक्सलरोधी अभियानों को संचालित करने के लिये प्रशिक्षित किये जाने वाले कोबरा कमांडो की कार्रवायी शत्रु के ठिकानों को नष्ट कर धन-जन की हानि को न्यूनतम करने पर केन्दि्रत होती है. कोबरा कमांडो की कुल 154 में से 44 टीमें इस समय छत्तीसगढ़ के बस्तर मंडल में तैनात हैं। बस्तर मंडल में सुकमा और दंतेवाड़ा सहित अन्य जिले शामिल हैं.

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सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज नक्सल प्रभावित राज्यों की बैठक में नक्सली हिंसा से निपटने के लिये केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल की बटालियनों की संख्या बढ़ाने की मांग पर केन्द्र सरकार ने असहमति जताई है. इसमें केन्द्र सरकार की दलील है कि बटालियन की संख्या बढ़ाने के बजाय नक्सल विरोधी अभियानों को प्रभावी बनाने पर जोर दिया जाना चाहिये. हालांकि मंत्रालय ने बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों की अति सक्रियता वाले इलाकों में सीआरपीएफ और बीएसएफ की बटालियनों की फिर से तैनाती पर सहमति जतायी है. साथ ही मंत्रालय ने इन इलाकों में वायु सेना के हेलीकॉटर से निगरानी की अवधि को बढ़ाने की योजना बनायी है. इसमें हेलीकॉप्टर से प्रतिमाह 120 घंटे निगरानी को बढ़ाकर 160 घंटे करने का विचार है.

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