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मिशन 2019: जीत की तलाश में फिर साइकिल पर निकलेंगे अखिलेश

अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता साइकिल यात्रा निकालेंगे और पूर्ववर्ती राज्य सरकार की योजनाओं को अपना बता रही बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश करेंगे.

अखिलेश यादव (फाइल फोटो) अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 2017 के विधानसभा चुनाव में खिसके जनाधार को वापस लाने की कवायद में जुट गए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने और पार्टी को जीत दिलाने के लिए सपा कार्यकर्ता बलिया से लखनऊ तक साइकिल चलाएंगे. जबकि अखिलेश यादव खुद लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद साइकिल यात्रा पर निकलेंगे.

अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता साइकिल यात्रा निकालेंगे और पूर्ववर्ती राज्य सरकार की योजनाओं को अपना बता रही बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश करेंगे.

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सपा कार्यकर्ता 26 जुलाई को बलिया से 'लोकतंत्र बचाओ समग्र क्रांति साइकिल यात्रा' निकालेंगे. ये यात्रा उसी रास्ते से होकर गुजरेगी जिस पर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण प्रस्तावित है.

सपा कार्यकर्ता साइकिल से गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, अम्बेडकर नगर, फैजाबाद और बाराबंकी के रास्ते से होते हुए लखनऊ पहुंचेंगे. इस यात्रा का समापन लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में पांच अगस्त को होगा.

अखिलेश ने कहा,'मैं भी लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद साइकिल यात्रा निकालूंगा. बीजेपी ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है और प्रधानमंत्री भी प्रचार पर निकल पड़े हैं. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि चुनाव कब हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें तो इस बारे में पता ही होगा. चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद मैं बीजेपी को जवाब दूंगा.'

अखिलेश ने प्रधानमंत्री द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखे जाने और उसे विकास के अपने 'विजन' का हिस्सा बताए जाने पर एतराज जताते हुए कहा कि यह एक्सप्रेव-वे परियोजना बीजेपी की नहीं बल्कि खुद उनकी सरकार की देन है.

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बता दें कि 2012 में यूपी में मायावती सरकार के खिलाफ अखिलेश यादव ने साइकिल जमकर साइकिल चलाई थी. इसका नतीजा था कि 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने ऐतिहासिक जीत के साथ सत्ता में वापसी की थी. इसके चलते मुलायम सिंह यादव ने सत्ता का सिंहासन अखिलेश को सौंपा था, लेकिन पांच साल के बाद बीजेपी के हाथ उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.

2017 के विधानसभा चुनाव में सपा की हार के बाद से अखिलेश यादव अपने जनाधार को वापस लाने की कोशिशों में जुटे हैं. फूलपुर, गोरखुपर और कैराना लोकसभा उपचुनाव में 23 साल की दुश्मनी को भुलाकर बसपा के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया. इससे सपा को जीत का फॉर्मूला मिला.

उपचुनाव में मिली जीत से अखिलेश के हौसले बुलंद हैं. इसी के चलते 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन करके बीजेपी को मात देने का प्लान है. अगले लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी के गठबंधन की सम्भावनाओं के बारे में अखिलेश ने कहा कि एसपी और बीएसपी की इस दोस्ती के बाद प्रधानमंत्री के हाव-भाव बदल गये हैं. उन्होंने कहा, 'मैं उनका भाषण नहीं सुनता, बल्कि यह देखता हूं कि बोलते वक्त वह किस तरह अपने हाथ घुमाते हैं.'

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