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अखिलेश बोले- गठबंधन वक्त की बर्बादी, टूट गई राहुल से सियासी दोस्ती?

उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ 'दोस्ती' के दरवाजे खुले हैं. ऐसे में समान विचारधारा वाली पार्टी गठबंधन के लिए हाथ बढ़ाती है, तो मैं कर सकता हूं. अखिलेश ने कहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव है. मौजूदा समय में हम प्रत्येक सीट पर उम्मीदवारों के चयन के लिए स्थानीय समीकरणों के माध्यम से काम कर रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सियासी दोस्ती में दरार पड़ गई है? क्या यूपी के लड़के अब 2019 लोकसभा चुनाव में साथ नजर नहीं आएंगे? ये सवाल इसलिए क्योंकि समाजवादी पार्टी अगले साथ अकेले अपने दम पर लोकसभा के सियासी रण में उतरने की तैयारी कर रही है. अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू में गठबंधन को समय की बर्बादी बताते हुए कहा है कि 2019 के लिए पार्टी को मजबूत करना उनकी पहली प्राथमिकता है.

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अखिलेश ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा कि 2019 के लिए अभी तक मैं किसी पार्टी के साथ गठबंधन की नहीं सोच रहा हूं. गठबंधन और सीट शेयरिंग पर बात कर मैं अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता. अखिलेश ने ये भी कहा कि मैं किसी भ्रम में नहीं रहना चाहता हूं.

उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ 'दोस्ती' के दरवाजे खुले हैं. ऐसे में समान विचारधारा वाली पार्टी गठबंधन के लिए हाथ बढ़ाती है, तो मैं कर सकता हूं. अखिलेश ने कहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव है. मौजूदा समय में हम प्रत्येक सीट पर उम्मीदवारों के चयन के लिए स्थानीय समीकरणों के माध्यम से काम कर रहे हैं.

अखिलेश ने कहा कि हम मजबूत संगठन के साथ लोकसभा चुनाव में उतरेंगे. यूपी ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में हमारे पास एक मजबूत संगठनात्मक आधार है. हम उत्तराखंड और राजस्थान में भी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा में बीजेपी लोगों को बेवकूफ बनाने में सफल रही है. लेकिन अब यूपी की जनता हमारे शासन को याद कर रही है.

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बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव राहुल गांधी के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरे थे. दोनों की दोस्ती को  'यूपी के लड़के'  का नारा दिया गया था, लेकिन जनता ने इस दोस्ती को नकार दिया था. विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में सपा 47 को सीटें मिलीं तो कांग्रेस को महज 7 सीटें. बीजेपी 325 सीटें जीतकर सत्ता पर विराजमान हुई.

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