
लाभ के पद के सवालों से घिरे आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को एक बार फिर `डेट` पर जाने का मौका मिलेगा. गुरुवार दोपहर सभी डेट पर आए जरूर पर कुछ हो ना सका क्योंकि सुनवाई इन विधायकों की नहीं, इनके समर्थन और मुखालफत करने वाले पैरोकारों की दलीलों पर हुई. सब यही कहते रहे कि उनकी सुनो तो हमारी भी सुनो.
चुनाव आयोग ने भी पहले यही तय करने की कवायद शुरू की कि लाभ के पद को लेकर चल रहे इस न्याय युद्ध में कौन पक्षकार बने? क्यों जारी रहे, इस पर लंबी तकरार हुई. चुनाव आयोग ने सबकी बातें सुनकर इस खींचातान पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
चुनाव आयोग के विशेष कक्ष में एक घंटे से ज्यादा देर तक चली सुनवाई के दौरान चर्चा इस पर ही हुई कि आखिर बीजेपी, कांग्रेस, आप या फिर दिल्ली सरकार को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए या नहीं. कांग्रेस की दलील थी कि उन्होंने इस मामले में इंटर्वीन एप्लिकेशन यानी IA लगाई है लिहाजा उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए. बीजेपी का कहना था अव्वल तो ये मामला इतना जटिल है और बीजेपी विपक्ष में है लिहाजा उनकी बात भी सुनी जाए.
आम आदमी पार्टी तो बचाव की भूमिका में है लिहाजा उसका भी जोर था. वैसे याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल की दलील थी कि इनमें से किसी को भी पक्षकार नहीं बनाया जाए क्योंकि इस मामले में इनमें से किसी की भी कोई भूमिका नहीं है. संविधान के मुताबिक इस मामले में कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ लाभ के पद पर नियुक्त विधायकों पर ही होनी है. लिहाजा सुनवाई भी उनकी ही होनी चाहिए, राजनीतिक दलों या फिर दिल्ली सरकार की नहीं.
बैरंग लौट गए AAP के 21 विधायक
फिलहाल, सभी पक्षों को सुनने के बाद चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. पक्षकार बनने के तमाम दावेदारों को आयोग ने कहा
कि चिट्ठी लिखकर इस बाबत बता दिया जाएगा. दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के 21 विधायक जो संसदीय सचिव बनने के साथ ही लाभ के पद
के सवालों में आ गए हैं, बैरंग लौट गए. उनको भी अब आयोग की तरफ से अगली तारीख का इंतजार है, जब एक बार फिर वो डेट पर चुनाव
आयोग आएंगे.