
नोटबंदी के बाद 33 लाख नए करदाताओं को जोड़ा गया है, संसद को मंगलवार को यह जानकारी दी गई. सरकार के आंकड़ों से यह पता चलता है कि हालांकि नए करदाताओं को जोड़ने की यह संख्या वित्त वर्ष 2014-15 से 2015-16 के बीच जोड़े गए नए करदाताओं की संख्या से कम है। उस साल 40 लाख अतिरिक्त रिटर्न दाखिल किए गए थे.
वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा को एक लिखित जबाव में सूचित किया, "नोटबंदी के बाद आय करदाताओं की संख्या बढ़ी है। 2016 के नवंबर से 2017 के 31 मार्च तक कुल 1.96 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में 1.63 करोड़ और वित्त वर्ष 2014-15 में 1.23 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए थे."
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मंत्री ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य जीडीपी को बड़ा, स्वच्छ और वास्तविक बनाना था. उन्होंने कहा, "यह कवायद (नोटबंदी) सरकारर के भ्रष्टाचार, काले धन, नकली मुद्रा और आतंक के वित्त पोषण को खत्म करने के सरकार के बड़े संकल्प का एक हिस्सा है."
एक अलग जवाब में मंत्री ने कहा कि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि भारत में कितना काला धन है. उन्होंने कहा, "भारत में काले धन के अनुमान का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. हालांकि नोटबंदी के बाद आयकर विभाग (आईटीडी) ने 2016 के नवंबर से 2017 के मार्च तक 900 समूह के लोगों की खोज की, जिसके बाद 900 करोड़ की संपत्ति और 7,961 करोड़ रुपये के अघोषित धन का खुलासा किया."
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मंत्री ने कहा कि 18 लाख लोगों की पहचान की गई जिनकी नकदी भुगतान का आंकड़ा उनके कर प्रोफाइस से मेल नहीं खाता है. उन्हें इस संबंध में ईमेल/एसएमएस भेजे गए हैं.