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कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में VVIP सत्कार में 42 लाख खर्च

कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर के शपथ ग्रहण समारोह में अतिथियों के सत्कार में हुए खर्च का ब्यौरा सामने आया है.

मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण के दौरान एक मंच पर विपक्ष नेता, फाइल फोटो मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण के दौरान एक मंच पर विपक्ष नेता, फाइल फोटो
विवेक पाठक/नागार्जुन
  • बेंगलुरु,
  • 09 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

हाल में कर्नाटक में बनी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर के शपथ ग्रहण में तमाम राजनीतिक दलों के वीवीआईपी के आतिथ्य में कर्नाटक सरकार ने 42 लाख रुपये खर्च किए हैं.

बता दें कि कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह को मंच पर एकजुट विपक्ष के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया. मंच पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री और एचडी कुमारस्वामी के पिता एचडी देवगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायवती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी नजर आए.

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इनके अलावा बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख अजित सिंह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी मंच पर दिखे.

कर्नाटक सरकार के अतिथि सत्कार विभाग द्वारा विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों पर हुए खर्च का ब्यौरा इस प्रकार है.

  • अभिनेता से नेता बने कमल हसन पर 1,02,040 रुपये खर्च
  • यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर 1,02,400 रुपये खर्च
  • बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर 1,41,443 रुपये खर्च
  • केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर 1,02,400 रुपये खर्च
  • कांग्रेस महसचिव अशोक गहलोत पर 1,02,400 रुपये खर्च
  • झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर 38,400 रुपये खर्च
  • एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर 64,000 रुपये खर्च
  • एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर 38,400 रुपये खर्च

उल्लेखनीय है कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 104 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि कांग्रेस को 78 सीटें और जेडीएस को 37 सीटें मिली थी. इस चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिसके चलते बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करके सरकार बना ली थी, लेकिन येदियुरप्पा विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहे. जिसके बाद जेडीएस और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाई.

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