
यूपी की राजधानी लखनऊ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पिछले चार दिनों से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में धरना प्रदर्शन कर रहे डाक्टरों की हड़ताल ने यूपीपीजीएमई अभ्यर्थियों की कॉउंसलिंग दुबारा शुरू होने के बाद विकराल रूप ले लिया. इससे मरीजों का हाल बेहाल हो गया गया है. समय से इलाज न मिलने पर पांच मरीजों की मौत की सूचना है.
आमने-सामने आए शासन और मेडिकल छात्र
शासन और मेडिकल छात्र आमने-सामने आ गए हैं. रविवार को प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) के आदेश के बाद काउंसिलिंग का स्थान केजीएमयू से बदलकर दूसरे कॉलेज नेशनल पीजी में कर
दिया गया था. केजीएमयू के नाराज डॉक्टरों ने हड़ताल कर दिया और ओपीडी बंद करा दी. आपातकालीन ट्रामा सेंटर को बंद कर दिया. प्रदर्शन से मरीजों में हाहाकार मच गया.
30 फीसदी नंबर की व्यवस्था खत्म करने की मांग
लखनऊ में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल प्रवेश परीक्षा की दोबारा काउंसलिंग पर भड़का मेडिकल छात्रों का गुस्सा मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है. साथियों का भविष्य बचाने के चक्कर में तमाम
जूनियर डॉक्टरों ने मरीजों की जिंदगी दांव पर लगा दी है. छात्रों की मांग है कि पीजी प्रवेश में पीएमएस संवर्ग को दिए जाने वाले 30 फीसदी अतिरिक्त नंबर की व्यवस्था खत्म की जाए.
धरना पर बैठे ओपीडी से लेकर ट्रॉमा तक के सभी डॉक्टर
यूपीपीजीएमईई-2016 में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के डॉक्टरों को 30 फीसदी अंकों की वरीयता देने से मूल मेरिट के छात्र का नाम अब मेरिट लिस्ट में काफी नीचे आ गया है. वो काउंसलिंग
के विरोध में हड़ताल पर हैं. इनके समर्थन में केजीएमयू के जूनियर डॉक्टरों सहित ओपीडी से लेकर ट्रॉमा तक के सभी डॉक्टर धरना प्रदर्शन पर हैं.
महिलाओं से बदसलूकी की खबर के बाद बवाल
काउंसलिंग के पहले ही दिन जूनियर डॉक्टर्स ने इसके विरोध में जमकर हंगामा किया. अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने काउंसलिंग के दौरान उनसे बदसलूकी की. महिलाओं ने आरोप
लगाया कि पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती नीचे ढकेल दिया. महिलाओं से अभ्रदता की खबर के बाद केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में जूनियर डाक्टरों ने कामकाज बंद कर दिया.
मरीजों की परेशानी से किसी को वास्ता नहीं
मरीजों का कहना है कि डाक्टर के न आने से हम लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. गौरतलब है कि यूपीपीजीएमई की काउंसलिंग इससे पहले भी हो चुकी है. इसके बाद पीएमएस के डॉक्टर
कोर्ट में चले गए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में नई लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए. जिसके बाद दूसरी मेरिट लिस्ट जारी की गई. इसमें पहले टॉप करने वाले लोग मेरिट में नीचे आ गए.
मौका मांग रहे हैं पुरानी काउंसलिंग वाले छात्र
पुरानी काउंसलिंग में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हे अभी और मौका दिया जाए, ताकि वो सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रख सकें. छात्रों का कहना है कि इस आदेश से
उनके सारे रास्ते बंद हो गए हैं और भविष्य अंधकार में है. जिसके चलते छात्रों की ओर से केजीएमयू में बीते तीन दिनों से प्रदर्शन किया जा रहा था. इसके बाद शासन ने काउंसिलिंग की जगह
बदलकर केजीएमयू से नेशनल पीजी कॉलेज कर दी थी.
आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं प्रदर्शनकारी छात्र
छात्रों ने कहा कि वह प्रांतीय चिकित्सकों यानि पीएचसी में तैनात डॉक्टरों की 51 क्लीनिकल सीटों के आरक्षण के खिलाफ नहीं है, लेकिन इस फैसले से उनका भविष्य खतरे में पड़ गया है.
जिसके विरोध में करीब सौ छात्रों ने मंगलवार को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर पर प्रदर्शन किया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक काउंसलिंग पर लगे रोक
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. ये फैसला 400 रेजीडेंट डॉक्टरों के भविष्य से जुड़ा है. इस बारे में केजीएमयू के वीसी
रविकांत ओझा ने कहा कि बच्चों के फैसले का हम सम्मान करते हैं. अभी कोर्ट में सुनवाई चल रही है. जब तक कोर्ट का फैसला नही आता है तब तक कॉउंसलिंग को रोक देना चाहिए.
टॉपर से भी दस नंबर आगे हो गया मेरिट वाला
मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर शकील ने कहा कि पीजी एग्जाम हुआ था. उसमें मेरिट में आने वाले लोगो को हटा कर पीएमएस से आए डॉक्टरों को तीस फीसदी आरक्षण दे कर सीट दे दी है.
अब मेरिट में आने वाला हमारे टॉपर से भी दस नंबर आगे हो गया है. सरकार ऐसा कैसे कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट में मामला होने से हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. हम न्याय चाहते हैं.
सिर्फ डिप्लोमा में 30 फीसदी कोर्स का आरक्षण
वाइस चांसलर डॉ. रविकांत ओझा ने कहा कि कोर्ट का एक आदेश आया है, जिसमे कुछ साफ करना है. इसमे डीएमएमसीएच के कोर्स में ये जब आगे चलते हैं तब इसमें कोई रिजर्वेशन नहीं
होता है. एमडीएमएस में अच्छे छात्रों को एडमिशन नहीं देंगे, तो डीएमएमसीएच के छात्र नहीं आएंगे. पहले से गला नहीं घोटना चाहिए. यह बच्चों के साथ अन्याय है. इसमें सुधार होना चाहिए.
तीस फीसदी कोर्स का आरक्षण सिर्फ डिप्लोमा में है.