
बिहार में बीजेपी के तमाम दावों ने दम तोड़ दिया. एग्जिट पोल भी गलत ही निकले. बिहार के लोगों ने आरजेडी और जेडीयू को हाथोंहाथ लिया. बीजेपी राज्य में तीसरे नंबर पर आ गई. बिहार ने अपने डीएनए पर मुहर लगाई. महागठबंधन की जीत की ये 5 वजहें रहीं.
1. नीतीश का कामः नीतीश ने बीते 10 साल में जो काम किया उसका फायदा मिला. पहली बार स्कूली बच्चियों को साइकिल दी. 5 से 14 साल के ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या 25 लाख से घटाकर 2.5 लाख की.
2. जातीय समीकरणः नीतीश खुद कहते हैं- जाति बिहार का सबसे बड़ा सच है. लालू प्रसाद को जोड़ने से मुस्लिम-यादव फैक्टर काम आया. पिछड़ों में अगड़ों की राजनीति की उनकी रणनीति भी कामयाब रही.
3. हमलावर होने से बचेः नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी या अमित शाह पर निजी हमले करने में पहल नहीं की. उल्टे उनके हमलों को अपने जवाब में बिहार की जनता के मान-सम्मान से जोड़ दिया.
4. मोदी विरोधी छविः नीतीश 2013 में मोदी विरोध पर ही अलग हुए थे. संदेश दिया कि जब तक बीजेपी के साथ रहे, मोदी को बिहार में कदम नहीं रखने दिया. अब भी मोदी विरोध की रणनीति अपनाई.
5. और आरक्षणः बीजेपी के सीएम पद के चेहरे के अभाव में बिहारी बनाम बाहरी को मुद्दा बनाया. संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर से उठाया गया आरक्षण का मुद्दा भी नीतीश के पक्ष में ही गया.