
'मैं' यानी एक आम आदमी... वो जिसे लोग मिडिल क्लास का कहते हैं. जिसे नौकरी करनी है. जिसे महीने की 30 तारीख का इंतजार रहता है. मुझे परिवार चलाना है. बच्चों के लिए बेहतर सपने संजोने हैं और फिर उन्हें पूरा करने में जुट जाना है. मोदी सरकार सोमवार को अपना बजट पेश कर बहुत खुश है. कहती है इससे खुशहाली आएगी. लेकिन 'मैं' खुश नहीं हूं. मुझे चिंता सता रही है, जानते हैं क्यों...
सेस बढ़ाएगा मेरा सबसे अधिक बोझ
अरुण जेटली के तीसरे बजट में मुझे एक के बाद एक कई नए सेस के बोझ तले दबने का डर है. सभी सेवाओं पर कृषि कल्याण सेस, इन्फ्रा सेस, कोयले पर क्लीन एनर्जी सेस और न जानें ऐसी कितनी. मंत्री जी, आपने परोक्ष रूप से मुझ पर टैक्स का भार ही तो बढ़ाया है. अब सब कुछ महंगा हो जाएगा. खाने से लेकर घूमना तक. हर बिल पर मुझे सिक्कों की खनक बढ़ानी होगी.
सड़क पर गाड़ी चलाना पड़ेगा महंगा
भारत में इस बार के बजट से कंजेशन टैक्स की भी शुरुआत हो रही है. डीजल कारों पर इन्फ्रा सेस से सड़क पर गाड़ी चलाना और गाड़ी पर चढ़ना भी शायद अब महंगा हो जाएगा.
बढ़ेंगे बिजली के दाम
सरकार ने जिस हिसाब से टैक्स लगाए गए हैं, विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे आगे बिजली की दर भी बढ़ने की संभावना है.
वेतन भोगियों को राहत नहीं
वेतन भोगियों को सीधे तौर पर सरकार ने कोई रियायत नहीं दी. लंबे समय से आस थी कि मोदी सरकार इस ओर कुछ बड़ा ऐलान करेगी, लेकिन इसमें भी मामूली फायदा ही हुआ.
महंगाई का बढ़ना तय
अब तक जितना पढ़ा और समझा. सरकार भले ही बजट को जनहितैषी बता रही है, लेकिन विशेषज्ञ चीख-चीखकर कह रहे हैं कि इसमें महंगाई पर कोई ठोस रणनीति नहीं है. शहर में रहता हूं तो दाल से लेकर पानी तक खरीदना पड़ता है. जेब पहले से ढीले हैं, आस यही है कि ये फट न जाए.