
मध्य एशियाई देशों से तालमेल और दोस्ती बढ़ाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी पश्चिमी एशिया और खाड़ी देशों की ओर बढ़ने वाले हैं. स्वतंत्रता दिवस के अगले दिन 16 अगस्त को वह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) रवाना हो जाएंगे और वहां दो दिन तक रहेंगे. आपको बताते हैं यह इलाका भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री मोदी वहां अपनी माया क्यों फैलाना चाहते हैं.
1. समृद्ध UAE से निवेश लाना है
प्रधानमंत्री मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहते हैं. लिहाजा वह भारी भरकम संपदा और अरब देशों के लिए आर्थिक इंजन का काम करने वाले यूएई को भारत में निवेश के लिए लुभाना चाहेंगे. मोदी यहां अबू धाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान और यूएई के उपराष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम से मुलाकात करेंगे. अबू धाबी डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास 800 बिलियन डॉलर का फंड है. अब तक वे अमेरिका और यूरीपीय यूनियन की ओर ही ज्यादा आकर्षित रहे हैं. प्रधानमंत्री इनका रुख भारत की ओर मोड़ना चाहेंगे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 70 के दशक में भारत और यूएई के बीच 180 मिलियन डॉलर का व्यापार होता था और अब यह बढ़कर 60 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा है. 2014-15 में यूएई चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था.
2. इराक में फंसे भारतीयों को रिहा कराना है
आर्थिक हितों के अलावा मोदी यूएई की ताकतवर राजनीतिक सत्ता का इस्तेमाल इराक में फंसे 39 भारतीयों को रिहा कराने में करना चाहेंगे. यूएई की शाही और राजनीतिक सत्ता इराक में अच्छा प्रभाव रखती है. सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री उन 39 भारतीयों को रिहा कराने में यूएई से मदद मांग सकते हैं , जिन्हें इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने अगवा कर रखा है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस मुद्दे पर पहले ही यूएई में अपने समकक्ष से बात कर चुकी हैं. अगर मोदी इसमें सफल रहे तो निश्चित ही यह एक बड़ी कामयाबी होगी.
3. तेल की सप्लाई बढ़ानी है
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम इस वक्त करीब 50 डॉलर प्रति बैरल हैं, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम है. लिहाजा प्रधानमंत्री का जोर यूएई से तेल व्यापार बढ़ाने पर भी रहेगा. 2014-15 में भारत को तेल आयात करने वाला यूएई दुनिया का छठा सबसे बड़ा देश था. मोदी के एजेंडे में वहां से तेल आयात बढ़ाने की कोशिश भी शामिल होगी.
4. वहां बसे भारतीयों को लुभाना है
प्रधानमंत्री यूएई में बसे लाखों भारतीयों को लुभाने की कोशिश करेंगे. यूएई लंबे समय से भारतीयों के लिए नौकरी की प्राथमिकता वाली जगहों में रहा है. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यूएई में करीब 20 लाख भारतीय रहते हैं, लेकिन अनौपचारिक तौर पर यह आंकड़ा 26 लाख के आस-पास माना जाता है. विदेशों से आकर यूएई में बसने वालों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की ही है. मोदी यहां दो सार्जनिक इवेंट में हिस्सा लेंगे. अबू धाबी में वह भारतीय कामगारों और दुबई में भारतीयों को संबोधित करेंगे. दुबई का कार्यक्रम 50 हजार की क्षमता वाले वहां के क्रिकेट स्टेडियम में होगा.
5. धार्मिक तौर पर उदार दिखना है
इन तमाम चीजों के साथ मोदी इस दौरे पर धार्मिक तौर पर खुद की उदार छवि पेश करने की कोशिश भी कर सकते हैं. इसमें सबसे अहम अबू धाबी की मशहूर शेख जाएद मस्जिद में उनका दौरा रहेगा. मोदी भारत में एक सार्वजनिक मंच पर मुस्लिम धर्म की टोपी पहनने से इनकार कर चुके हैं और इसके लिए काफी आलोचना भी झेल चुके हैं. ऐस में मस्जिद जाकर वह अपना नया उदार चेहरा पेश करेंगे, ताकि मुसलमानों में स्वीकार्यता की गुंजाइश बनाई जा सके.