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श्रीलंका के खिलाफ हार के बाद कोहली को यह 5 चीजें सीखने की जरूरत

टीम इंडिया श्रीलंका के खिलाफ पहला टेस्ट हार चुकी है. गॉल टेस्ट में लगभग जीत की मुहर लगा चुकी भारतीय टीम जिस नाटकीय अंदाज में हारी वह वाकई बड़ा दर्दनाक रहा. दरअसल यह महज एक हार नहीं बल्कि इंडियन टीम के लिए एक आईने जैसा है.

कोहली के लिए राह आसन नहीं कोहली के लिए राह आसन नहीं
मोहम्मद इकबाल
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  • 19 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 11:47 PM IST

टीम इंडिया श्रीलंका के खिलाफ पहला टेस्ट हार चुकी है. गॉल टेस्ट में लगभग जीत की मुहर लगा चुकी भारतीय टीम जिस नाटकीय अंदाज में हारी वह वाकई बड़ा दर्दनाक रहा. दरअसल यह महज एक हार नहीं बल्कि इंडियन टीम के लिए एक आईने जैसा है. एक समय पारी के अंतर से जीत दर्ज करने की स्थिति में खड़ी टीम इंडिया इस अंदाज में मैच हारेगी यह किसी ने सोचा नहीं था.

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खैर, एक मैच तो गया हाथ से लेकिन अब बच के रहना होगा. जो गलती टीम इंडिया ने गॉल में की उससे बचना होगा. आइए जानते हैं कि कप्तान विराट कोहली को गॉल की किन गलतियों को दुरुस्त करने की जरूरत है:

दोस्ती यारी अपनी जगह, टीम की जरूरत अपनी जगह
क्रिकेट का खेल भी कभी कभी शतरंज की तरह हो जाता है. एक भी चाल गलत चली तो मात तय. क्रिकेट में सही टीम का चयन हार और जीत को निर्धारित करने में बेहद अहम भूमिका निभाती है. कप्तान विराट कोहली को यह बात समझनी होगा कि टीम के लिए 5 गेंदबाजों की थ्योरी सही है या 4. क्योंकि सौरव गांगुली से लेकर एमएस धोनी तक हमने देखा है कि वह 4 गेंदबाज, 6 बल्लेबाज और 1 विकेटकीपर के साथ मैदान में उतरे. क्या रोहित शर्मा नंबर 3 जैसे अहम पोजीशन के लिए सही चॉइस हैं? क्या पुजारा की टीम में जगह नहीं बनती? क्या हरभजन सिंह की के रूप में भारत को तीसरे स्पिनर की जरूरत है? क्या एक ऑलराउंडर की टीम इंडिया को जरूरत नहीं? इन तमाम सवालों पर विराट कोहली को बेहद गंभीरता से सोचना होगा.

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कोहली के साथ-साथ खासतौर पर रवि शास्त्री के लिए सलाह-बातें कम काम ज्यादा
टीम इंडिया के डायरेक्टर रवि शास्त्री हमेशा कहते हैं कि हम आक्रामक क्रिकेट खेलने में विश्वास करते हैं. शास्त्री जी क्या यह आक्रामक क्रिकेट है कि आप 176 रन का पीछा करने उतरे और 63 रन से मैच हार गए? क्या आपका ओपनर (शिखर धवन) चौथे दिन 35-40 गेंद खेल कर एक रन भी ना बना पाए, यह आक्रामक क्रिकेट है? एक समय आप विपक्षी को पारी के अंतर से हारने की स्थिति में खड़े थे, लेकिन फिर भी आप उन्हें 175 रन की लीड लेने दे देते हैं, क्या यह आक्रामक क्रिकेट है? डायरेक्टर साहब को यह समझना होगा कि यह फिल्म नहीं है कि बड़ी बड़ी बातें कह कर निकल गए. यहां हर कही हुई बात सच करके दिखाना होता है. इसलिए बातें कम काम ज्यादा.

अगर टेस्ट मैच जीतना है तो स्पिनरों को सही से खेलना सीखना होगा
सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण के संन्यास के बाद अब तक कोई भी ऐसा खिलाड़ी भारत को नहीं मिला जो स्पिनर को बहुत सफाई से खेल सकता हो. पिछले कुछ दौरों पर निगाह उठाकर देखें तो स्पिनर टीम इंडिया की हार के लिए सबसे बड़ी वजह बने. हद तो तब हो गई जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर भी हम स्पिनरों की वजह से टेस्ट मैच हारे. ऑस्ट्रेलिया में नेथन लायन ने हमें नचाया तो इंग्लैंड कर मोइन अली को हमने विशुद्ध स्पिनर बना दिया. यह सच है कि रातों रात इस कमी को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन जितना जल्दी टीम इंडिया के बल्लेबाज इस खामी को दूर कर पाएंगे उतना ही उनके लिए फायदे की बात होगी.

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कप्तान कोहली को ओवर एक्साईटेड होने से बचना होगा
गॉल टेस्ट में जब भारत ने श्रीलंका की दूसरी पारी में भी सेंध लगा दी थी उस समय कप्तान को थोड़ा और धैर्य से काम लेना था. दिनेश चांदीमाल, जेहान मुबारक और अन्य बल्लेबाजों को रोकने के लिए कोहली के पास कोई प्लान नजर नहीं आया. कप्तान को लगा कि 5-6 विकेट गिर गए अब मैच हाथ में है. चांदीमाल जब टिक कर खेल रहे थे तब भी और आक्रामक हुए तब भी, दोनों ही स्थितियों में कोहली के पास उनको रोकने के लिए कोई उपाय नजर नहीं आया. कप्तान के रूप में कोहली को प्लान बी और सी भी जल्द ही डेवेलप करना होगा.

परिस्थितियों के हिसाब से खुद को और टीम को ढालने की जरूरत
एमएस धोनी तकनीकी रूप से कोई बहुत सक्षम खिलाड़ी नहीं हैं. लेकिन जो उपलब्धियां उन्होंने अपने करियर में हासिल की उसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि उन्होंने खुद को और टीम को हमेशा परिस्थितयों के अनुकूल ढाला. हालात को सही ढंग से पढ़ने और उसके अनुकूल खुद को ढालने की क्षमता जितनी जल्दी कोहली और बाकी खिलाड़ी सीखेंगे उतना अच्छा रहेगा.

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