
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में बांटने के फैसले का ऐलान हुए गुरुवार को 60वां दिन है. इस मौके पर कश्मीर के पत्रकारों ने 'कम्युनिकेशन ब्लैक आउट' के विरोध में मौन धरना दिया.
विभिन्न मीडिया संघों से जुड़े पत्रकारों ने इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवाओं को ब्लॉक किए जाने को मीडिया के कामकाज पर 'प्रतिबंध' माना. उन्होंने सरकार से पत्रकारों के मोबाइल और इंटरनेट संपर्क को बहाल करने की मांग की.
नहीं हो रही वेब पोर्ट्ल्स पर खबर अपलोड
कश्मीर के मीडिया समुदाय की ओर से साझा बयान में कहा गया, 'सरकार की ओर से कम्युनिकेशन पर लगाए गए प्रतिबंध से जो मौजूदा स्थिति है उसमें हम अपने असाइनमेंट पूरे नहीं कर पा रहे हैं. इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं के अभाव में श्रीनगर से जो स्थानीय अखबार छप रहे हैं वो अपने इंटरनेट एडिशन अपलोड नहीं कर पा रहे हैं, ना ही वेब पोर्ट्ल्स पर खबर अपडेट हो रही है.'
घाटी में मोबाइल-इंटरनेट सेवाएं बंद
इन पत्रकारों के मुताबिक, बीते दो महीने से घाटी में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद पड़ी हैं. सरकार का कहना है कि लैंडलाइन फोन सेवाएं बहाल कर दी गई हैं. हालांकि ये नहीं बताया जा रहा कि मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं कब दोबारा शुरू होंगी. सरकार ने एक मीडिया सेंटर बनाया है जहां कुछ कम्प्यूटर्स पर इंटरनेट सुविधा है. मीडिया समुदाय मानता है कि ये बहुत कम है और उनके काम पर बंदिश जैसा है.
धरने में शामिल एक पत्रकार ने कहा, 'मीडिया सेंटर मांग को पूरा करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है. आज के दिन और युग में ये कैसे असल जरूरत की जगह ले सकता है. अखबरों के ऑनलाइन एडिशन नहीं निकल पा रहे हैं. हम अपने सूत्रों तक नहीं पहुंच सकते, क्योंकि हमारे फोन काम नहीं कर रहे हैं.'