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पथराव करने वाले 634 युवकों को ईद पर रिहा करेगी महबूबा सरकार

पथराव के आरोपों में जेलों में बंद विचाराधीन सभा युवाओं के मामलों की समीक्षा का जिम्मा पुलिस महानिदेशक, जेल महानिदेशक और प्रधान सचिव (गृह) वाली एक कमि‍टी को सौंपा गया था. ईद का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा.

पुलिस की गाड़ी पर पत्थर बरसाते युवा पुलिस की गाड़ी पर पत्थर बरसाते युवा
स्‍वपनल सोनल/शुजा उल हक
  • श्रीनगर,
  • 05 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

जम्मू-कश्मीर सरकार ने ईद से पहले पथराव करने के कारण जेलों में बंद 634 लोगों को रिहा करने का फैसल किया है. इन सब के ख‍िलाफ दर्ज 104 मामलों को सरकार वापस ले रही है. राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पथराव करने के आरोपों में जेलों में बंद युवाओं के मामले में सोमवार को गृह विभाग से समीक्षा करने को कहा था. सीएम का कहना है कि ऐसा करने से युवाओं को फिर से करियर बनाने का अवसर मिलेगा.

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पथराव के आरोपों में जेलों में बंद विचाराधीन सभा युवाओं के मामलों की समीक्षा का जिम्मा पुलिस महानिदेशक, जेल महानिदेशक और प्रधान सचिव (गृह) वाली एक कमि‍टी को सौंपा गया था. ईद का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा. फैसला महबूबा की उस नीति की तर्ज पर है कि जघन्य अपराध में जो संलिप्त नहीं है, उन्हें नए अवसर के लिए रिहा किया जाना चाहिए.

सीएम ने विधानसभा में किया था जिक्र
इससे पहले, पिछले महीने महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा को बताया था कि सरकार 2008 के बाद से पथराव संबंधी सभी मामलों की समीक्षा कर रही है. उन्होंने कहा था, ‘जघन्य अपराधों में जो लिप्त नहीं थे, उन्हें रिहा किया जाएगा और कुछ को ईद के पहले रिहा किया जाएगा.' महबूबा ने पुलिस महानिदेशक के राजेंद्र कुमार को अनजाने में एलओसी पार करने वाले मानसिक रूप से परेशान एक पाकिस्तानी नागरिक को उसके देश भेजने का मामला भी देखने को कहा. वह व्यक्ति अभी जेल में है.'

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जेल मैनुअल की भी समीक्षा
महबूबा ने कहा कि राज्य और उसकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस तरह के ढीले ढाले तरीके से काम नहीं करना चाहिए और उनका रूख और मानवीय होना चाहिए. राज्य में जेल मैनुअल की समीक्षा और उन्नयन पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समीक्षा इस मकसद से होनी चाहिए कि जेल सुधार का केंद्र बने, सजा के केंद्र के तौर पर नहीं.

'यह सैनिकों का अपमान है'
दूसरी ओर, राज्य के फैसले पर फिल्मकार अशोक पंडित ने आश्चर्य व्यक्त किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि यह फैसला हमारे सैनिकों का अपमान है और इसका अंजाम भुगतना होगा.

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