
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले से 37 साल पहले चुराई गई नटराज की 700 साल पुरानी मूर्ति को ऑस्ट्रेलिया से भारत लाया गया है. ये मूर्ति ऑस्ट्रेलिया की एक ऑर्ट गैलरी में मौजूद थी. पांडयन युग की ये मूर्ति पुरातत्व महत्व की वजह से बेशकीमती है.
मूर्ति को भारत वापस लाने में रिटायर्ड पुलिस महानिरीक्षक पॉन मानिकावेल ने निर्णायक भूमिका निभाई. आस्ट्रेलियाई आर्ट गैलरी के अधिकारियों ने तमिलनाडु पुलिस जांच टीम को मूर्ति बुधवार को सौंपी. टीम इसे ट्रेन से लेकर जाएगी और शुक्रवार को चेन्नई पहुंचेगी. वर्ष 2000 से ये मूर्ति एडिलेड स्थित ऑर्ट गैलरी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (AGSA) में मौजूद थी.
भगवान नटराज की पंचलोक मूर्ति को 1982 में तिरुनेलवेली जिले के कालिदाईकुरिची से चुराया गया था. वहां ये मूर्ति कुलासेखरमुदयार- आरामवलार्थ नयागी मंदिर में स्थित थी. नटराज की मूर्ति के साथ सिवागामी अम्मान और तिरुवल्ली विनयाकर की दो और मूर्तियां भी चुराई गई थीं. इस मामले को सुलझाने में कोई कामयाबी नहीं मिलने के बाद तिरुनेलवेली पुलिस ने 1984 में केस बंद कर दिया.
बताया गया है कि मूर्ति को ऑस्ट्रेलिया से भारत लाने वाले भारी कार्गो खर्च को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से हाथ पीछे खींच लिया गया था. पूर्व आईजी मानिकावेल और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायुक्त के दखल की वजह से ऑर्ट गैलरी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के कूरेटर जेन रॉबिनसन मूर्ति को भारत ले जाने पर आने वाला खर्च उठाने को तैयार हुए. गैलरी की तरफ से मूर्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों को सौंपी गई.
100 किलोग्राम के वजन की इस मूर्ति की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 30 करोड़ रुपये आंकी गई. सारी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद मूर्ति को मंदिर में दोबारा विधि विधान से प्रतिस्थापित किया जाएगा.