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7th Pay Commission: इस राज्य के कर्मचारियों को दो बड़े तोहफे, मिलेगा बंपर एरियर और DA

भारत के कई राज्यों ने महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी के साथ सरकारी कर्मचारियों को तोहफा दिया है. इसी कड़ी में ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार ने भी डीए में बढ़ोतरी की है.

7th Pay Commission: Dearness Allowance (DA) increased in Odisha 7th Pay Commission: Dearness Allowance (DA) increased in Odisha
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

ओडिशा सरकार ने अपने राज्य के कर्मचारियों के लिए बड़े दोहरे तोहफे का ऐलान किया है. यह ऐलान ओडिशा के सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा. ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार की घोषणा के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को अब 5 फीसदी ज्यादा महंगाई भत्ता मिलेगा.

यही नहीं पटनायक सरकार अपने कर्मचारियो को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत मिलने वाली राशि (बकाया राशि) का 10 फीसदी हिस्सा भी देगी.

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राज्य सरकार ने महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में 5 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इससे ओडिशा सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारकों को लाभ होगा.

जानकारी के मुताबिक यह बढ़ोतरी जनवरी 2020 से लागू होगी. इस बढ़ोतरी से 3.5 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनधारकों को फायदा पहुंचेगा. साथ ही सरकार ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत 10 प्रतिशत बकाया राशि देने का भी ऐलान किया है.

बता दें कि ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार पिछले 2 वित्त वर्षों में पेंशनधारकों का 100 फीसदी बकाया राशि जारी कर चुकी है.

क्‍या होता है महंगाई भत्‍ता (What is Dearness Allowance)?

महंगाई भत्‍ता सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मिलने वाला उनके वेतन का ही एक हिस्सा है. यह कर्मचारियों के वेतन में ही शामिल होता है. राज्य के सरकारी कर्मचारियों को यह भत्ता महंगाभी बढ़ने की स्थिति में अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए दिया जाता है. सरकारें साल में दो बार महंगाई भत्‍ते को बढ़ाती हैं.

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महंगाई के प्रभाव से बचाने के लिए सरकारी कर्मचारियों को दिया जाने वाला यह भत्ता उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक से संबद्ध होता है. जानकारी के मुताबिक इसकी शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुई थी. उस समय सिपाहियों को उनकी सैलरी से अलग खाने-पीने और अन्य सुविधाओं के लिए पैसे दिए जाते थे. इसमें महंगाई के आधार पर बढ़ोतरी की जाती रही है. भारत में इसकी शुरुआत 1972 में हुई थी.

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