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PM मोदी और नवाज शरीफ की मुलाकात से ज्यादा उम्मीद बेमानी, ये रहीं 8 वजहें...

PM नरेंद्र मोदी रूस के शहर उफा में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सालाना शिखर वार्ता से इतर पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात करने वाले हैं. अमन पसंद लोग यह उम्मीद कर रहे हैं कि बातचीत के जरिए दोनों देशों के बीच रिश्ते में तल्खी कम हो और सीमा पर तनाव खत्म हो.

नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ
अमरेश सौरभ
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

PM नरेंद्र मोदी रूस के शहर उफा में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सालाना शिखर वार्ता से इतर पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात करने वाले हैं. अमन पसंद लोग यह उम्मीद कर रहे हैं कि बातचीत के जरिए दोनों देशों के बीच रिश्ते में तल्खी कम हो और सीमा पर तनाव खत्म हो.

इसके बावजूद, मोदी-शरीफ की मुलाकात से भारत-पाकिस्तान रिश्ते में मिठास आने की ज्यादा उम्मीद बेमानी है. ऐसा इसलिए कि बीते वक्त में दोनों प्रधानमंत्री के बीच मुलाकात या बात कोई उम्मीद नहीं जगा पाई है...  

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1. नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने पिछली बार नवंबर, 2014 में काठमांडू में दक्षेस (SAARC) सम्मेलन में मुलाकात की थी, लेकिन उनके बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई थी.

2. हाल ही में म्यांमार की सीमा के भीतर उग्रवादियों के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में और तल्खी आ गई. 'पाकिस्तान में भी म्यांमार जैसी कार्रवाई' वाली टिप्पणी से पाकिस्तान बौखला गया और उसने भारत के खि‍लाफ बयानबाजी शुरू कर दी.

3. इन दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान हुई थी. इसमें SAARC के सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया गया था, लेकिन सबसे ज्यादा फोकस मोदी-शरीफ के बीच बातचीत पर ही था. कूटनीति के लिहाज से यह मोदी का बेहतर कदम था, हालांकि आगे रिश्ते और उझल ही गए.

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4. मोदी के पीएम बनने के बाद ऐसी संभावना जगी थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच उच्चस्तरीय वार्ता होगी और सीमा पर तनाव कम होगा. पर विदेश सचिव स्तर की वार्ता से पहले भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात करके विवाद खड़ा कर दिया. भारत नाराज हो गया और तब से ही दोनों देशों के बीच आधिकारिक बातचीत नहीं हो पाई है.

5. अब उफा में मोदी और शरीफ के बीच मुलाकात को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं. लेकिन विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि इस मुलाकात से उम्मीदें पालना गलत होगा. दोनों के बीच मुलाकात SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हो रही है. ऐसे में द्व‍िपक्षीय बातचीत से ज्यादा उम्मीद बेकार है.

6. लखवी के मुद्दे पर पाकिस्तान को अब चीन का भी साथ मिल गया है. ऐसे में पाकिस्तान का रुख पहले से ज्यादा अड़ियल हो सकता है.

7. जब भी भारत और पाकिस्तान के शासनाध्यक्ष मुलाकात करने वाले होते हैं, तब पाकिस्तान सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन करके तनाव पैदा कर देता है. जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना और आतंक फैलाने वाले तत्व जान-बूझकर ऐसा करते हैं, ताकि दोनों देशों के बीच रिश्ते कभी सामान्य न हो सकें. गुरुवार रात सीमा पर सीजफायर के उल्लंघन और एक भारतीय जवान के शहीद होने से यह बात साबित होती है.

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8. पाकिस्तान की अवाम भले ही अमन पसंद करती हो, पर कूटनीति के जानकारों का मानना है कि वहां के सियासतदान कभी भी भारत से दोस्ती नहीं कर सकते. पाकिस्तान की सियासत के लिहाज से भारत को भला-बुरा कहना वहां के नेताओं के लिए ज्यादा 'फायदेमंद' है. यही वजह है कि रिश्ते सामान्य नहीं होते.

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