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यह खबर भले ही आपको चौंका रही हो लेकिन यह अपने तरह का एक सच है. मध्यप्रदेश सरकार ने बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दिए बगैर ही 530 मिडिल स्कूलों को अपग्रेड करके हाई स्कूल कर दिया. बीते 16 जून से इन स्कूलों में नौवीं की क्लासेस भी शुरू हो गई हैं. अब पढ़ाई के स्तर को लेकर अभिभावक परेशान हैं. अब, नौवीं क्लास के इन स्टूडेंट्स को आठवीं के शिक्षक पढ़ा रहे हैं.
इन स्कूलों में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के अभिभावकों ने इलाके के जनप्रतिनिधियों से यह शिकायत की है. सरकार ने पिछले चार माह में करीब 700 स्कूलों को अपग्रेड किया है. सभी की हालत कमोबेश ऐसी ही है. कई स्कूलों में तो नौवीं की क्लासेस शुरू करने की जगह नहीं है. वहीं कई स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं. इसी वजह से मिडिल स्कूल के शिक्षकों को ही इन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षक भी रखे गए हैं. अभिभावक दोनों की परफार्मेंस से नाखुश हैं.
ऐसे तो बिगड़ जाएंगे परिणाम...
राइट टू एजुकेशन के तहत मिडिल तक परीक्षा नहीं लेने का प्रावधान है. ऐसे में सरकारी स्कूलों में आठवीं तक पढ़ाई का ग्राफ काफी नीचे आ गया है. इसी वजह से आठवीं पास करने से पहले स्टूडेंट्स को नौवीं में दाखिले से पहले प्रवेश परीक्षा कराई जाती हैं. शिक्षाविद् कहते हैं कि जब मिडिल स्कूल के शिक्षक ही पढ़ाएंगे तो नौवीं के रिजल्ट की कल्पना की जा सकती है. ऐसे में हाईस्कूल का रिजल्ट बिगड़ना तय है.
पहले से करनी होती है प्लानिंग...
शिक्षाविद् प्रो. रमेश दवे कहते हैं कि किसी भी काम के शुरुआत से पहले प्लानिंग की जाती है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग में इसका अभाव है. इसी वजह से शिक्षकों की व्यवस्था किए बगैर स्कूलों को अपग्रेड कर दिया गया. ऐसे में आगे के रिजल्ट बिगड़ने तो तय हैं. राज्य शिक्षा केन्द्र की पाठ्यपुस्तक स्थाई समिति के सदस्य डॉ भागीरथ कुमरावत भी प्लानिंग पर जोर देते हैं. वे कहते हैं कि बिना अग्रिम इंतजाम के कदम नहीं बढ़ाने चाहिए.