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हर साल AIPMT में फेल होते हैं 99.4 फीसदी स्टूडेंट्स

ऑल इंडिया प्री मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट (AIPMT)  देने वाले स्टूडेंट्स में से सिर्फ 0.6 फीसदी स्टूडेंट्स ही इस टेस्ट को क्रैक कर पाते हैं.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2015,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) एग्जाम कितना कठिन होता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल इस टेस्ट को देने वाले स्टूडेंट्स में से सिर्फ 0.6 फीसदी स्टूडेंट्स ही इस टेस्ट को क्रैक कर पाते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो 99.4 फीसदी स्टूडेंट्स इस टेस्ट में हर साल फेल होते हैं.

इस साल 6.3 लाख स्टूडेंट्स ने यह टेस्ट दिया था. देश में एमबीबीएस की लगभग 52,300 सीटें हैं. इनमें से 25 हजार सीटें सरकारी कॉलेजों में हैं. इनमें से 15 फीसदी सीटें (AIIMS और JIPMER के अलावा) ऑल इंडिया कोटा के अंतर्गत आती हैं. इस तरह 3700 सीटों के लिए लाखों लोग अप्लाई करते हैं. इसलिए हर साल सिर्फ 0.6 फीसदी स्टूडेंट्स ही इस टेस्ट को क्रैक कर पाते हैं.

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गवर्नमेंट कॉलेजों की फीस 25 हजार से 75 हजार तक होती है. इन कॉलेजों में शिक्षा का स्तर भी बेहतर होता है. प्राइवेट कॉलेजों में MBBS कोर्स की फीस 15 लाख से 40 लाख तक होती है. वहीं मैनेजमेंट कोटा की सीटें 50 लाख से 80 लाख में बिकती हैं. इतनी ज्यादा फीस के बावजूद इन कॉलेजों में शिक्षा का स्तर भी संतोषजनक नहीं है.

प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की बढ़ती फीस और शिक्षा के गिरते स्तर ने गवर्नमेंट कॉलेजों की मांग बढ़ा दी है. 

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