
एशिया के सबसे कुख्यात सीरियल किलर के रूप में जाना गया चार्ल्स गुरुमुख शोभराज इस समय काठमांडो की सेंट्रल जेल में उम्रकैद काट रहा है. लेकिन ऐसा लगता है, नेपाल की न्यायिक व्यवस्था की एक धारा के कारण वह आखिरी बार जेल से छूट जाए.
आठ साल पहले उसे एक अमेरिकी पर्यटक, कोनी जो ब्रोन.जिच की हत्या का दोषी पाया गया था. यह अकेली हत्या है जिसके लिए उसे सजा दी गई, हालांकि उसकी जीवनी (द लाइफ ऐंड क्राइम्स ऑफ चार्ल्स शोभराज) लिखने वाले रिचर्ड नेविल और जूली क्लार्क के सामने वह कबूल कर चुका है कि उसने चार देशों में कम से कम 10 हत्या की हैं.
लेकिन शोभराज को जेल से बाहर आने के लिए चार साल इंतजार करना पड़ेगा. नेपाली कानून के मुताबिक, जब दोषी 70 वर्ष की उम्र में पहुंच जाता है, उसकी सजा आधी कर दी जाती है. 20 साल कैद की सजा पाए 66 वर्षीय शोभराज ने सात साल की सजा काट ली है. एक सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर और शोभराज के खिलाफ दलील देने वाले एक वकील विश्व लाल श्रेष्ठ ने बताया, ''दूसरे शब्दों में, जब शोभराज 70 साल का होगा, उसे सेंट्रल जेल से मुक्ति मिल जाएगी.'' इससे कई दोषी संतुष्ट हो जाएंगे लेकिन शोभराज क्लीन चिट के साथ जेल से बाहर आना चाहता है. हाल ही में उसने इंडिया टुडे से बढ़-बढ़कर कहा, ''मुझे हत्या के एक भी मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सका है.''
इस साल फरवरी में उसने ''बिना किसी सबूत के'' गलत इल्जाम में जेल में डाले जाने के लिए नेपाल सरकार से 7,00,000 यूरो मुआवजा मांगा. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी तो उसने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कमेटी (एचआरसी) को भेजी याचिका में दावा किया कि उस पर गलत मुकदमा चलाया गया. उसने दावा किया कि उस पर नेपाल से बाहर हत्या के जो आरोप लगाए गए, उनमें मीडिया रिपोर्ट के आधार पर उसके खिलाफ मामला बनाया गया था.
शोभराज के मुताबिक, वर्तमान मामले में एक भी गवाह नहीं था या यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था कि वह 1975 में नेपाल में था. वर्तमान मामला परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था. एचआरसी के काठमांडो कार्यालय ने कहा कि उसने शोभराज को 'बरी' नहीं किया है, लेकिन उसने उसके मुकदमे और उसे हिरासत में रखने की स्थिति के बारे में 'विशिष्ट चिंता' व्यक्त की थी.
उसे 'बिकनी किलर' भी कहा जाता है क्योंकि उसकी कथित शिकार हिप्पी युवतियां होती थीं. जब उनके शव अंदमान के समुद्र से निकाले गए, वे अपने स्विम सूट में थीं. उसे 'सांप' भी कहा जाता है क्योंकि वह एशिया की जेलों से कई बार भाग निकला.
1975 में नेपाल में हुई एक हत्या के आरोप में शोभराज को 2003 में काठमांडो के एक कसीनो से गिरफ्तार किया गया था. अपने बचाव में उसका कहना था कि वह 2003 से पहले कभी नेपाल नहीं आया. नेपाली पुलिस ने अदालत को बताया कि उसने नीदरलैंड का नागरिक बनकर हेनरीकस बिंतांजा के नाम से यात्रा की थी.
उस समय मामले की जांच करने वाले विश्व लाल श्रेष्ठ को याद है कि उन्होंने शोभराज से बिंतांजा के रूप में पूछताछ की थी. श्रेष्ठ का कहना है, ''पूछताछ करने के एक दिन बाद वह यह बहाना करके दोबारा आया कि उसका गोल्ड पार्कर पेन छूट गया था. हमने उसे ढूंढ़ने की कोशिश की. बाद में हमें एहसास हुआ कि वह सिर्फ यह पता करने आया था कि हमें उस पर संदेह था या नहीं.''
अंततः उन्होंने उसे कैद कर रखा है, नेपाली सरकार इस बात पर पूरा ध्यान दे रही है कि वह भागने न पाए. शोभराज को जेल के अत्यधिक सुरक्षा वाले लॉकअप 'गोलघर' में रखा गया है, जो जेल के अंदर ही एक अलग कोठरी है.
इसमें कुख्यात अपराधियों के लिए छह कोठरियां हैं. इन कोठरियों में उसके साथियों में एक अध्यापक वीरेंद्र प्रधान है जिसने एक किशोर छात्र की हत्या कर दी थी. हाल तक स्थानीय मीडिया कारोबारी यूसुफ अंसारी भी इसी जेल में था. दो महीने पहले शोभराज से मिलने आए एक व्यक्ति ने अंसारी की हत्या करने की कोशिश की थी. शोभराज का दावा था कि पंजाब के इस हमलावर जगजीत सिंह को वह नहीं जानता लेकिन जेल अधिकारियों का कहना था कि पिछले कुछ महीनों में वह शोभराज से 21 बार मिल चुका था.
वह जेल की लाइब्रेरी में जा सकता है, उसके लिए एक टेलीविजन सेट है और आंगन में वह मार्शल आर्ट का अभ्यास करता है. सेंट्रल जेल के एक अधिकारी के अनुसार, उसकी प्रमुख शिकायत है कि उसे बाहर जाने की इजाजत नहीं है.
जेल अधिकारी का कहना है, ''अब उसे अदालत में हाजिर नहीं होना है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उसके मामले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर चुका है. यहां तक कि जब वह बीमार पड़ता है, उसे अस्पताल नहीं ले जाया जाता और डॉक्टर उसे देखने आता है.'' शोभराज ने इस साल जनवरी में दांत दर्द की शिकायत की. उसके चार खराब दांत ठीक किए गए. दांतों के डॉक्टर ने उसका इलाज कोठरी में किया. अधिकारियों ने उसके दांतों के इलाज पर 60,000 रु. खर्च किए. हालांकि हफ्ते में दो बार लोग उससे मिलने आ सकते हैं, लेकिन जेल अधिकारी नजर रखते हैं.
कड़ी निगरानी के बावजूद, दो साल पहले वह जेल में चोरीछिपे विवाह समारोह आयोजित करने में सफल रहा. उसने खूबसूरत नेपाली दुभाषिया निहिता बिस्वास के साथ विवाह कर लिया. वह सिर्फ 22 साल की थी. निहिता की मां शकुंतला थापा अब शोभराज की वकील है. थापा का कहना है, ''एक दिन मेरी बेटी ने मुझे आकर कहा, ममा मैं एक विदेशी से विवाह करने जा रही हूं. मैंने उससे पूछा क्या चार्ल्स से? मेरी बेटी बहुत जिद्दी है, मैं जानती थी कि मैं मना करूंगी, मैं बुरी बन जाऊंगी. यही नियति है.''
बिस्वास परिवार के लिए यह आसान नहीं था. थापा आह भरते हुए कहती हैं, ''चार्ल्स से पहले उसका कोई ब्वॉयफ्रेंड तक नहीं था. कुछ लोग कहते कि बाकी लड़कियां लड़कों के साथ कॉफी पीने जाती हैं लेकिन हमारी निहिता सीधे सेंट्रल जेल जाती थी. उसे प्रेम हो गया था.'' थापा का पति कोलकाता का रहने वाला था. जब निहिता 15 साल की थी तब उसने परिवार को छोड़ दिया था. ''हमारे सभी रिश्तेदार इसके खिलाफ थे लेकिन नानू (निहिता) का कहना था कि उसे सिर्फ चार्ल्स चाहिए. उसका कहना है, 'वही मेरा सच्चा प्यार है' हालांकि जेल में वह अपने पति के गाल तक नहीं छू सकती.''
विवाह समारोह 2008 में जेल में हुआ, मांबेटी 'दशैन' (दशहरा) के दिन सिंदूर और थाली लेकर जेल में गईं. वधू ने बिना बाजू वाली गुलाबी और काली ड्रेस पहनी थी, वर सफेद कमीज और अपनी खास टोपी पहने था. जेल के पहरेदारों ने यह सोच कर सिंदूर ले जाने दिया कि वह टीका है. थापा ने बताया, ''शोभराज ने मेरी बेटी को मोती का हार पहनाया जो हमारे यहां मंगलसूत्र का काम करता है.'' भाव-विभोर निहिता ने विवाह की पुष्टि की, उसने मीडिया को बताया कि उसे पहली नजर में प्यार हो गया, ''उसने मेरी आंखों में झंक कर देखा और मैं सब कुछ भूल गई.''
बच्चों जैसी निहिता, जिसे हिंदी फिल्मी गानों (खासकर पाकिजा का इन्हीं लोगों ने...) पर नाचना बेहद पसंद था, अचानक रक्षक की भूमिका में आ गई. उसे अपने पति की बेगुनाही पर दृढ़ विश्वास है. उसने इंडिया टुडे के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कुछ सवाल ''वीभत्स'' थे, उसने कहा, ''मैं जानती हूं कि चार्ल्स दूध का धुला नहीं है लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि आप सिर्फ कानूनी सजा की बात क्यों करना चाहती हैं, कानूनी आजादी की क्यों नहीं? अगर नेपाल के फैसले से कुछ साबित होता है तो वह यह है कि न्यायपालिका ने खुद को शर्मसार करने के अलावा कुछ नहीं किया.''
निहिता मीडिया द्वारा उनके विवाह की आलोचना से दुखी हैं और वह प्रेस से मिलने के बारे में मौन रहती है. थापा का कहना है, ''उसे चार्ल्स से बेहद प्रेम है. वह हट के (अलग तरह की) लड़की है. कृपया ऐसा कुछ मत लिखिएगा जिससे मेरी बेटी को नुकसान पहुंचे. वह भोलीभाली है, मैं इसकी इजाजत नहीं दूंगी.'' उन्होंने कहा, ''एक अखबार में उनकी तस्वीर है जिसमें लिखा है हुए परफैक्ट मैच?' मुझे प्रश्नचिह्न अच्छा नहीं लगा, कृपया मेरी बेटी को ठेस मत पहुंचाइए.''
निहिता के अनुसार, नेपाल की 'गैरकानूनी सजा' ने उसे बुरी तरह परेशान कर दिया है. ''लेकिन इससे हमें कमजोर नहीं पड़ना चाहिए, मेरे लिए और उनके लिए यहां चीजें मुश्किल हो गई हैं. हमारा मजाक न उड़ाया जाए. उनकी रिहाई के बाद मैं देखूंगी कि सब कुछ बदले.'' निहिता ने हाल ही में शोभराज को मन बहलाने के लिए एक सफेद चूहा दिया. वह उसके लिए रोजाना खानेपीने का सामान खरीदने जाती है. थापा याद करती हैं, ''जब शोभराज की बिल्ली बीमार हुई, उसने उससे बिल्ली के लिए अमूल दूध मंगाया. मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारे लिए खरगोश लाऊंगी, तुम उसे मार कर बिल्ली को खिला देना लेकिन उसने कहा, मॉम मैं खून नहीं कर सकता.''
जेल में निहिता और शोभराज का पहला रोमांस नहीं है. भारत की तिहाड़ जेल में 21 वर्ष की कैद के दौरान, 50 वर्ष से अधिक उम्र के इस लेडी किलर ने 34 वर्ष की एक जर्मन महिला जैकलिन कस्टर से प्रेम जताया, जो नशीले पदार्थ से जुड़े कानून के अंतर्गत जेल में बंद थी. उसे लिखे गए कुछ पत्र इंडिया टुडे के पास हैं.
युवा और सीधी-सादी निहिता के साथ उसका विवाह कस्टर के साथ प्रेम जताने जैसा ही है. पत्रों में, चार्ल्स ने कस्टर को इस तरह गाइड किया कि मीडिया का ध्यान उसकी तरफ आ सके. उसने उससे कहा, ''मुझे मीडिया को संभालने दो. ऐसा हमारे हित में है.'' उसने कस्टर को सिखाया कि अपने प्रेम को रोमांटिक तरीके से कैसे पेश किया जा सकता है...ताकि हेडलाइन बने कि चार्ल्स शोभराज को प्यार हो गया है. कहानी के अनुसार, कस्टर को मीडिया को बताना था कि दोनों के बीच ''धीरे-धीरे अच्छी बातचीत होने लगी, वह दोस्ती में बदली फिर प्यार हो गया. हमारा रिश्ता मानसिकता से जुड़ा था.'' वह समझता था कि इससे उनकी ''छवि और गंभीर'' हो जाएगी.
शोभराज एल्विस प्रेस्ली के गानों की पंक्तियों (विल यू बी माइ टेडी बीयर) से लुभाता था, वह उसे मा चेरी और माइन लिबकिन के नाम से बुलाता था और फ्रांसीसी कवि पॉल वरलेन को उद्धृत करता थाः मैं तुमसे आज प्रेम करता हूं/ आने वाले कल से कम/ लेकिन बीते हुए कल से ज्यादा.
कई बार वह साधारण तरीके से कस्टर से कहता था,''मुझे अपने दिल और दिमाग पर ज्यादा मत चढ़ाओ, मैं जैसा हूं वैसा ही हूं, सरल, और मैं चाहता हूं कि मैं जैसा भी हूं, तुम मुझसे प्रेम करो...जैसा कि मैंने तुमसे कहा, मैं सर्वश्रेष्ठ नहीं हूं, लेकिन मैं तुम्हारे लिए सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करूंगा.'' उसे चिंता थी कि बाकी लोग उसके खिलाफ उसके दिमाग में बातें भर देंगे और उसे सावधान कर देंगे, ''जेल में बंद उन लोगों की बातें मत सुनो जो हमारे बारे में बात करते हैं.
उन्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिए और वे बहुत बड़े मूर्ख हैं, उनका जीवन और दिमाग इतना छोटा है कि उनमें से कोई भी किसी भी बारे में तुम्हें सलाह नहीं दे सकता...'' यहां तक कि उसके सबसे ज्यादा भावुक क्षणों में भी मीडिया कभी उसके दिमाग से दूर नहीं रहा. वह लिखता है, ''मैं तुमसे प्रेम और प्रेम और प्रेम करता हूं, हम दोनों पागल हो गए हैं... हमारी मुलाकात और प्रेम की कहानी पर एक अच्छी फिल्म बन सकती है.''
उसके पत्र देखकर यह भी पता लगता है कि कैसे उसने जेल की व्यवस्था का फायदा उठाया. वह दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में कस्टर के साथ मुलाकात तय करता था ताकि वे एक ही समय पर वहां पहुंचें. ''ओपीडी में मुझे सुबह साढ़े नौ बजे का समय दिया गया, लेकिन मैं 10 बजे पहुंचूंगा ताकि मेरा मिलने का समय रद्द हो जाए और मुझे दोबारा आना पड़े. हम हफ्ते में कम से कम एक बार एलएनजेपी में मिलेंगे.''
दिल्ली की तिहाड़ जेल में 21 साल की कैद में उसकी तीन प्रेमिकाएं थीं. पहली युवा भारतीय वकील, स्नेह सेंगर, जिसकी जगह जल्दी ही कस्टर ने ले ली. बाद में उसने एक पंजाबी लड़की मनबीना फुल्लर को लुभाया, जिसे उसकी जीवनी पढ़ने के बाद उससे प्रेम हो गया था. शोभराज का कहना था कि वह फुल्लर से विवाह करना चाहता था लेकिन उसे डर था कि लड़की के मातापिता आपत्ति करेंगे. ''भारत में क्या होता है. आप जानते ही हैं.''
तिहाड़ में उसकी मुलाकात राजन पिल्लै, सुखराम और चंद्रास्वामी से हुई और अदालत में उपस्थित होने के दौरान वह उनके बारे में पत्रकारों को बताता था. सुखराम के बारे में एक बार उसने कहा था, ''वे बहुत बुद्धिमान नहीं हैं लेकिन मैं समझता हूं कि नेता के तौर पर ठीक है.'' उसने एक जनहित याचिका (पीआइएल) दायर करके कहा कि 1995 में तिहाड़ जेल मेंपिल्लै की मौत धन वसूलने और उत्पीड़न का नतीजा थी.
पीआइएल के अनुसार, ''उसके (पिल्लै) साथ गालीगलौज की जाती थी, धमकाया जाता था और पैसा मांगा जाता था, लात मारी जाती थी, यहां तक कि फर्श साफ करने को कहा जाता था. उसके स्वास्थ्य की तरफ पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता था. पीआइएल में यह भी खुलासा किया गया था कि किस तरह एक अधिकारी ने पिल्लै से मारुति कार मांगी थी, जबकि एक अन्य चाहता था कि पत्नी से मिलने की इजाजत देने से पहले उसे पैसा दिया जाए.
शोभराज ने भारत छोड़ते समय कहा था, ''भारत की अदालतें निष्पक्ष हैं.'' उसके खुश होने की वजह थी क्योंकि फ्रांसीसी पर्यटक ल्यूक सोलोमन की हत्या के लिए अदालत ने उसे बरी कर दिया था. अब जब उसे फिर हत्या का दोषी ठहराया जा रहा है, तो वह अपने ऊपर गलत मुकदमा चलाए जाने का दावा कर रहा है. अब अगर वह नेपाल की अदालत के फैसले को पलटने में कामयाब होता है, तो चार्ल्स शोभराज के अपराध के जीवन में एक और अध्याय जुड़ जाएगा.