
केंद्र ने राष्ट्रगान में ‘सिंध’ और ‘सिंधु’ शब्द को लेकर उठे विवाद पर रोक लगाने का प्रयास करते हुए बंबई उच्च न्यायालय में कहा है कि दोनों उपयोग सही हैं.
चेहरा पहचानें, जीतें ईनाम. भाग लेने के लिए क्लिक करें |
केंद्र ने यह हलफनामा सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्रीकांत मलुश्ते की जनहित याचिका पर दिया है जिसमें राष्ट्रगान में ‘सिंध’ शब्द के उपयोग को चुनौती दी गयी है. गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में दावा किया कि गाने और बोलने के लिये दोनों शब्द ‘सिंधु’ और गीत के लिखित संस्करण में ‘सिन्ध’ शब्द का एक ही अर्थ है. इसका अर्थ नदी या सिंधी समुदाय दोनों के रूप में लगाया जा सकता है.
हलफनामे में कहा गया है कि ‘दोनों शब्द ‘सिंध’ और ‘सिंधु’ नदी या सिंधी समुदाय का जिक्र करते हैं. राष्ट्रगान कोई वृतांत नहीं है जो देश के क्षेत्रों को परिभाषित करता है और जब इसे लिखा गया था उस समय भारत का हिस्सा रहे राज्यों या क्षेत्रीय इलाकों की यह सूची भी नहीं है.’
गृह मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय द्वारा मई 2005 में एक याचिका को खारिज करते हुए दिए गए फैसले का भी हवाला दिया है जिसमें ‘सिंध’ शब्द के स्थान पर ‘कश्मीर’ शब्द शामिल किए जाने की मांग की गयी थी.
सरकार ने दावा किया कि यह आवश्यक नहीं है कि जब जब देश में क्षेत्रीय परिवर्तन हो तो हर बार राष्ट्रगान में संशोधन किया जाए. सरकार ने कहा कि ‘सिंध’ शब्द हटाना मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के खिलाफ होगा. इससे उच्चतम न्यायालय के फैसले की अवमानना भी होगी.
जनहित याचिका में दावा किया गया था कि 1917 में जब राष्ट्रगान की रचना की गयी थी उस समय सिंध भारत का हिस्सा था लेकिन अब यह भारत का हिस्सा नहीं है और इस वजह से इसके स्थान पर ‘सिंधु’ शब्द शामिल किया गया जो भारत में बहने वाली नदी का नाम है.