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मनमौजी है दीपक डोबरियाल का अंदाज

अक्सर खाली समय मिलने पर दीपक डोबरियाल की दादी, चाची और अन्य महिलाएं उन्हें घेर कर बैठ जाती थीं, क्योंकि वे अपने किस्सों से उन्हें खूब हंसाते थे.

दीपक डोबरियाल दीपक डोबरियाल
नरेंद्र सैनी
  • मुंबई,
  • 08 अक्टूबर 2011,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

अक्सर खाली समय मिलने पर उनकी दादी, चाची और अन्य महिलाएं उन्हें घेर कर बैठ जाती थीं, क्योंकि वे अपने किस्सों से उन्हें खूब हंसाते थे. उनके पिता चाहते थे कि वे सरकारी नौकरी करें लेकिन उनका मन रंगमंच में रमता था.

वे अक्सर सीनियर एक्टर के न आने पर उनकी जगह प्ले करते थे और अधिकतर स्क्रिप्ट जबानी रट लेते थे. वे मानते हैं कि उन्हें स्कूल से ज्यादा थिएटर ने सिखाया-पढ़ाया. वे शांत स्वभाव के हैं और उन्हें प्रकृति के करीब रहना बेहद पसंद है.

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वे कहते हैं, ''प्रकृति से मुझे एनर्जी मिलती है.'' वे अपने ऊपर किसी तरह की छाप नहीं चाहते और तरह-तरह के रोल करना उनकी पसंद है. उनकी इच्छा एक मैच्योर एडल्ट लव स्टोरी में काम करने की है.

खाने में पसंद हैः राजमा, चावल, उड़द की दाल और तंदूरी रोटी. साथ में सलाद भी.
शौक हैः बागवानी करना. वे गमलों में पौधे लगाते हैं और बड़े होने पर उन्हें बागीचे में लगा देते हैं.
ड्रीम रोलः मेजर ध्यानचंद को परदे पर उतारना.
पढ़ने में पसंद हैः श्रीलाल शुक्ल का उपन्यास राग दरबारी और हिंदी तथा विश्व साहित्य.

''जब भी फुर्सत मिलती है, एक्टिंग की दुनिया की नई-नई चीजें एक्सप्लोर करने की कोशिशों में जुट जाता हूं.'- दीपक डोबरियाल

''वे एक सहज-सरल कलाकार हैं और मेथड एक्टिंग से कोसों दूर हैं.''-पीयूष मिश्र, अभिनेता, गीतकार और पटकथा लेखक.

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