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टूजी घोटाले के फंदे में फंसे पूर्व कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. मंत्रालय की कुर्सी तो छिन ही चुकी है, अब सीबीआई उन तमाम गड़बड़ियों की तफ़्सील से जांच करने जा रही है जो मारन के संचार मंत्री रहने के दौरान हुई थीं.
टूजी घोटाले का फंदा अब पूर्व कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन की गर्दन को जकड़ चुका है. अब सीबीआई जांच का बढ़ता दायरा उनकी मुश्किलें और बढ़ाएगा. ख़बर है कि सीबीआई की नज़र मई 2004 से मई 2007 के बीच हुईं गड़बड़ियों पर जा टिकी है. ये वो दौर था जब मारन संचार मंत्रालय संभाल रहे थे.
इसी दौरान 25 यूएएस लाइसेंस जारी किए गए, जिसकी कीमत साल 2001 की दरो से वसूली गई. इस जालसाज़ी का बड़ा फ़ायदा तीन कंपनियों ने उठाया. सबसे ज़्यादा 1400 करोड़ रुपए एयरसेल को, 210 करोड़ आइडिया को और 40 करोड़ का फ़ायदा वोडाफोन को मिला.
दयानिधि मारन के दौर में हुए स्पेक्ट्रम आवंटन के चलते सरकारी खज़ाने को तगड़ा चूना लगा. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान नीतियों और दिशा निर्देशों की अनदेखी करते हुए 4 टेलीकॉम कंपनियों को 10 मेगाहर्ट्ज का स्पेट्रम मुफ्त बांट दिया गया. ये कंपनियां हैं एयरसेल, बीपीएल, वोडाफोन और भारती एयरटेल. इस बंदरबाट की वजह से चारों कंपनियों को 3000 करोड़ा का फ़ायदा हुआ और सरकारी खज़ाने को क़रीब 980 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.
दयानिधि मारन फ़िलहाल चेन्नई पहुंच चुके हैं. चर्चा इस बात की है कि मारन के इस्तीफ़े से खाली हुई कुर्सी किसे मिलेगी. उधर, डीएमके संसदीय दल के नेता टीआर बालू ने कहा है कि उनकी पार्टी मारन के बदले में मंत्रालय की मांग नहीं करेगी.