
वोटों की खरीदफरोख्त पर लोकसभा और राज्य सभा में जमकर हंगामा हुआ जिसके चलते दोनों सदनों की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा. इससे पहले प्रधानमंत्री ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के उद्धाटन भाषण में साफ कहा था कि वह न तो इस प्रकार के किसी भी खरीदफरोख्त में शामिल थे और ना ही ऐसा कुछ हुआ था.
साल 2008 में न्यूक्लियर डील के दौरान सदन में पेश किए गए विश्वासमत में सरकार सफल हुई थी. विकिलीक्स के ताजा खुलासे में यह कहा गया है कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने विश्वासमत के दौरान आरएलडी के सांसदों को 40 करोड़ में खरीदा था.
सांसदों की कथित खरीद फरोख्त संबंधी विकिलीक्स के इस खुलासे पर एकजुट विपक्ष ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस विषय पर स्पष्टीकरण की मांग की थी जिसके कारण लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ. {mospagebreak}
सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सुषमा ने तय मुद्दे से अलग सदन में विकीलीक्स खुलासे का मामला उठाया. उन्होंने कहा, संप्रग एक के शासन के दौरान विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सांसदों की कथित खरीद फरोख्त के संबंध में विकीलीक्स खुलासा सामने आने के बाद सरकार ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया है.
संसदीय कार्य मंत्री पी के बंसल ने सुषमा द्वारा मछुआरों का मुद्दा उठाये जाने के स्थान पर विकिलीक्स खुलासे का मुद्दा उठाये जाने का कड़ा प्रतिवाद किया. बंसल ने कहा, ‘‘मैं इस बात से सहमत हूं कि विपक्ष के नेता को सदन में किसी विषय को उठाने का अधिकार है लेकिन ध्यानाकषर्ण प्रस्ताव के दौरान उन्हें अपने विषय तक सीमित रहना चाहिए था.’
उधर राज्यसभा में बैठक शुरू होते ही विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सदन के बाहर बयान दे रहे हैं जबकि उन्हें सदन में आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. {mospagebreak}
जेटली के इतना कहते ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई. उप सभापति के रहमान खान ने कहा कि विपक्ष के नेता बोलना चाहते हैं और सदस्य उन्हें बोलने दें. उन्होंने कहा कि वह सत्ता पक्ष के सदस्यों को भी अपनी बात रखने का मौका देंगे. लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जेटली को बोलने नहीं दिया.
जेटली ने कहा कि वह एक सुझाव देना चाहते हैं और उन्हें उम्मीद है कि इसके बाद सदन चलने लगेगा. लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्य नहीं माने.
खान ने कहा ‘‘मुझे कुछ प्रक्रियाओं का पालन करना है. जब भी विपक्ष के नेता बोलना चाहेंगे, मुझे उन्हें अनुमति देनी होगी.’’ जेटली ने कहा, ‘‘ हम चाहते हैं कि सदन चले लेकिन प्रधानमंत्री को सदन में आकर स्थिति स्पष्ट करनी होगी.’ अब प्रधानमंत्री की ओर से यह साफ हो गया है कि वह लोकसभा में 2 बजे इस मुद्दे पर बयान देंगे.