
भारत द्वारा अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण किए जाने पर चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रभावशाली अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत को अपनी ताकत का ज्यादा आकलन नहीं करना चाहिए. यद्यपि उसके पास ऐसी मिसाइलें हैं जो चीन के अधिकांश हिस्सों तक पहुंच सकती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसे चीन के साथ विवाद के दौरान अहंकारी होने से कोई लाभ मिलेगा.
चीन के साथ विवाद वाले देशों पर हमलों के लिए जाने जाने वाले दैनिक ने कहा कि भारत को यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि चीन की परमाणु शक्ति ज्यादा मजबूत एवं विश्वसनीय है.‘इंडिया बीइंग स्वेप्ट अवे बाई मिलिटरी डिल्यूजन’ शीषर्क वाले संपादकीय में अखबार ने कहा है कि भारत के पास निकट भविष्य के लिए कोई अवसर नहीं होगा.
इसने कहा कि भारत को अपने पश्चिमी सहयोगियों के महत्व को भी ज्यादा नहीं मानना चाहिए और इसे चीन के साथ संयम बरतकर लाभ मिल सकता है. यदि यह चीन की क्षमता के साथ लंबी दूरी की सामरिक मिसाइलों से बराबरी करता है और दुश्मनी को आगे बढ़ाता है तो यह उसकी बड़ी गलती हो सकती है. अखबार ने कहा कि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी से आगे बढ़ा है.
अखबार ने कहा कि इसने (भारत) पिछले साल 3500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया था. भारतीय जनमानस लंबे समय से अपने सैन्य विकास के लिए चीन को अपने संदर्भ बिन्दु के रूप में देखता रहा है.
संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि भारत को अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के मार्ग में बहुत सी बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ा है. भारत अब भी गरीब है और आधारभूत ढांचे के निर्माण में काफी पीछे है, लेकिन इसका समाज परमाणु शक्ति के विकास का जबर्दस्त समर्थक है और पश्चिम भारत द्वारा परमाणु एवं मिसाइल नियंत्रण संधियों का उल्लंघन किए जाने पर ध्यान नहीं देता.
अखबार ने इस साल चीन के खुद के 106 अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा बजट का उल्लेख किए बिना कहा है कि पश्चिम इस तथ्य पर खामोश रहता है कि भारत की सेना 2012 में रक्षा बजट पर 17 प्रतिशत अधिक खर्च कर रही है और देश विश्व में फिर से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बन गया है.
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा कि चीन और भारत को जहां तक संभव हो सके, मित्रवत संबंध विकसित करने चाहिए. यदि यह हासिल नहीं हो, तब भी दोनों को एक..दूसरे के प्रति सहिष्णु होना चाहिए तथा सह अस्तित्व अपनाना चाहिए.
इसने कहा कि नयी उभरती शक्तियों के रूप में उनके दर्जे से पता चलता है कि दोनों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सहयोग करना चाहिए. चीन और भारत के लिए मिसाइलों का विकास कर शक्ति संतुलन के बारे में सोचना अविवेकपूर्ण होगा. अखबार ने कहा कि एशिया की भू राजनीतिक स्थिति चीन..भारत संबंधों की प्रकृति पर अधिक निर्भर होगी. क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है.