
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लैगार्ड ने कहा है कि विश्व अर्थव्यवस्था की तस्वीर धुंधली है और कोई भी देश मंदी के बढ़ते ख़तरे से सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के ख़तरे के बीच यूरोप से लेकर सभी देशों को ख़तरे को टालना होगा.
लैगार्ड ने कहा कि ऐसी कोई अर्थव्यवस्था नहीं है जो इस ख़तरे से बची हुई है. हम न केवल उसे पसरता हुआ देख रहे हैं बल्कि वह बढ़ भी रहा है. उन्होंने कहा कि सभी देशों और सभी क्षेत्रों की ओर से कार्रवाई करके ही इसका हल निकाला जा सकता है. इस बीच रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने दस स्पैनिश बैंकों की क्रेडिट रेटिंग गिरा दी है और फ़्रांस की सरकारी सांख्यिकी एजेंसी इंसी ने कहा है कि यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के इस वर्ष के अंत में और अगले वर्ष की पहली तिमाही में मंदी में पड़ने के आसार दिख रहे हैं. फ़्रांस, स्पेन और इटली में कर्ज़ पर ब्याज़ की दर लगातार बढ़ रही है. कई निवेशकों को डर है कि इनमें से एक यूरोज़ोन सदस्य को जल्दी ही सहायता पैकेज की ज़रुरत पड़ सकती है.
वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग में बोलते हुए क्रिस्टीन लैगार्ड ने कहा कि दुनिया भर के आर्थिक नेताओं को मौद्रिक कमज़ोरी से निपटने के लिए एक साझा दृष्टिकोण अपनाना होगा.
उनका कहना था कि इसके लिए प्रयास करने की ज़रुरत होगी, सामंजस्य की ज़रुरत होगी और साफ़ है कि इसकी शुरुआत समस्या के जड़ से करनी होगी, जो स्पष्ट रूप से यूरोपीय देश हैं, ख़ासकर वो जो यूरोज़ोन में हैं.
आईएमएफ़ प्रमुख ने एशिया और लातिनी अमरीका में कुछ चमकदार आर्थिक बिंदुओं की ओर इशारा किया और कहा कि इन देशों ने अपनी वित्तीय संकट के दिनों में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की सहायता से अपनी बैंकिंग व्यवस्था और अपने वित्तीय ढाँचे में सुधार कर लिया था. एशियाई और लातिनी अमरीकी देशों ने अपने संकट के दिनों में जो क़दम उठाए, उसका प्रतिफल अब मिल रहा है.
गुरुवार को ही एक सर्वेक्षण में पता चला है कि यूरो साझा करने वाली 17 अर्थव्यवस्थाओं ने दिसंबर में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है. इन देशों की एक हज़ार फ़र्मों के बीच सर्वेक्षण के दौरान पता चला कि उनका कारोबार सिकुड़ तो रहा है लेकिन इसकी ग़ति नवंबर की तुलना में कम है.