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सर्वोच्च न्यायालय ने आम आदमी के हितों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय अनिवार्य औषधि सूची (एनएलईडी) के तहत अनिवार्य औषधि सूची को अंतिम रूप देने में हो रही देरी के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई. साथ ही न्यायालय ने कहा कि सरकार एनएलईडी में आवश्यक दवाओं की संख्या बढ़ाने के दौरान मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत अनिवार्य दवाओं के वर्तमान खुदरा मूल्य तंत्र में बदलाव न करे.
न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति एस.जे. मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि दवा की कीमतें इतनी अधिक हैं कि मरीज के सामने दो विकल्प रह जाते हैं- या तो वह मर जाए या फिर जमीन या जेवरात बेचकर दवा खरीदे. न्यायालय ने कहा, 'आम आदमी की कोई पहुंच नहीं है. कम से कम एक राज्य सरकार (राजस्थान) जेनरिक दवाओं को मुफ्त में दे रही है.'
न्यायालय ने कहा कि सरकार चलाना उसका काम नहीं है, लेकिन उसने इस बात पर आश्चर्य है कि इसमें नौ वर्षो तक कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? न्यायमूर्ति सिंघवी ने कहा, "यदि सरकार ठीक नहीं करती है तभी हम हस्तक्षेप करते हैं. न्यायालय सरकार नहीं चला रही है. न्यायालय तभी हस्तक्षेप करती है जब जरूरी एवं अपरिहार्य हो जाए. अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह ने एनएलईएम में 348 दवाओं के नाम जोड़ने की सिफारिश की है जिसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल में रखा जाएगा.
सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने नई मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत एनएलईडी को अधिसूचित करने के लिए सात दिनों की मोहलत मांगी तो न्यायालय ने अपने दो फरवरी के आदेश का हवाला दिया.
न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क द्वारा नौ वर्ष पहले दायर याचिका पर आदेश दिया था.न्यायालय ने आदेश में केंद्र सरकार द्वारा मांगी गई मोहलत का जिक्र किया. यद्यपि न्यायालय ने लूथरा के अनुरोध
को स्वीकार करते हुए सरकार को सात दिन की मोहलत दे दी. न्यायालय ने कहा कि यदि एनएनईडी को जारी करने में और देरी हुई तो न्यायालय को उसके अनुसार आदेश पारित करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
सरकार आवश्यक दवाओं की मुफ्त आपूर्ति के लिए कटिबद्ध
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने सस्ती स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए सरकारी चिकित्सालयों में आवश्यक दवाओं की मुफ्त आपूर्ति का प्रस्ताव रखा है. आजाद ने कहा कि इससे महंगी दवाओं पर खर्च घटेगा.
आजाद इस समय 'रिस्पांसिबल यूज ऑफ मेडिसिंस' पर आयोजित सेमिनार में भाग लेने के लिए नीदरलैंड में हैं. उन्होंने बुधवार को सेमिनार में कहा, 'यह इस कदम से दवाओं का तार्किक इस्तेमाल बढ़ेगा और अनावश्यक, अवैज्ञानिक एवं हानिकारक दवाओं को इस्तेमाल घटेगा.' उन्होंने कहा कि देश में बहुत सी दवाएं क्षमता से अधिक महंगी हैं.