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लालच इंसान को वाकई हैवान बना देता है. वर्ना भला कोई इंसान कैसे उसी कोख का कत्लेआम कर सकता है, जिसने उसे जन्म दिया हो? राजस्थान के पांच प्राइवेट अस्पतालों में महज चंद हजार रुपए के लिए सैकड़ों औरतों की कोख का खून कर दिया गया और ये कत्ल किसी और ने नहीं बल्कि उन डाक्टरों ने किया जिनपर जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी थी.
हिंदुस्तान का ये वो इलाका है जहां आज भी बेटियों को मां की गोद की जगह मौत का आगोश मिलता है. यहां के लोगों के लिए आज भी बेटियां अभिशाप और बोझ हैं. आज भी बेटियों को यहां या तो कोख में ही मार दिया जाता है या फिर पैदा होने के तुरंत बाद उनकी सांसों की डोर तोड़ दी जाती है.
पर आज जिस खबर से हम आपको रू-ब-रू कराने जा रहे हैं वो इससे भी कहीं ज्यादा खौफनाक और दहला देने वाली है. क्या आप यकीन करेंगे कि जिंदगी देने वाले डाक्टर महज चंद हजार रुपयों के लिए सैकड़ों कोख का कत्ल कर देंगे?
जी हां, कोख का कत्ल वो भी उस इलाके में जहां सरकार ने बेटियों के कत्लेआम को रोकने के लिए मां-बाप को पैसे देने की स्कीम निकाल रखी है ताकि वो बेटियों को अच्छी तरह पाल सकें. पर सितम देखिए कि उसी राज्य में बेटियों की जगह अब सीधे कोख का कत्ल किया जा रहा है. जाहिर है जब कोख ही नहीं होगा तो फिर बेटी या बेटे कहां होंगे?
रौंगटे खड़े कर देने वाला ये सच सामने आया है राजस्थान के दौसा जिले से. जहां करीब ढाई सौ से भी ज्यादा औरतों की बच्चादानी यानी कोख का धोखे से कत्ल कर दिया गया. वो भी सिर्फ साल भर के अंदर. डर इस बात का है कि अगर पुराने आंकड़े भी सामने आ गए तो कत्ल होनो वाले कोख की गिनती हजारों तक ना पुहंच जाए.
जाहिर है अब आप जानना चाहते होंगे कि आखिर डाक्टर कोख का कत्ल क्यों करेंगे? इससे उन्हें क्या फायदा होगा? और कोख का ये कत्ल हो कैसे रहा है? तो आइए आपको सिलसिलेर पूरी कहानी बताते हैं.
राजस्थान सरकार बेटियों की जान बचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च रही है और सितम देखिए कि उसी राज्य में कुछ लालची डाक्टर और अस्पताल सैकड़ों कोख को हमेशा-हमेशा के लिए सूनी कर रहे हैं. फिलहाल करीब ढाई सौ कोख के कत्ल की बात सामने आई है. हालांकि डर है ये कि गिनती हजारों में जा सकती है.
ये है राजस्थान के दौसा जिले का बांदीकुई इलाका. पूरे राजस्थान की तरह इस इलाके में भी सरकार ने बेटियों के कत्लेआम को रोकने के लिए जननी सुरक्षा योजना चला रखी है. इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में डिलिवरी कराने के एवज में सरकार हर गर्भवती महिला को 14 सौ रुपए देती है. ये पैसे इसलिए दिए जाते हैं ताकि मां-बाप कोख में बेटी की हत्या ना कर दें.
सरकारी अस्तालों के अलावा सरकार ने कई प्राइवेट अस्पतालों को भी जननी सुरक्षा योजना का ठेका दे रखा है. यानी इन अस्पतालों में भी डिलिवरी के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को सरकार की तरफ से 14 सौ रुपए मिलते हैं.
ऐसे ही कुल पांच प्राइवेट अस्पतालों के बारे में ये सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि यहां मां बनने वाली महिलाओं के अजन्मे बच्चे की ना सिर्फ हत्या कर दी जाती थी बल्कि उससे मां बनने का सपना भी हमेशा के लिए छीन लिया जाता था.
ये सच्चाई तब सामने आई जब दौसा के बांदीकुईं इलाके में काम करने वाले एक एनजीओ अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने सूचना के अधिकार के तहत पांच ऐसे प्राइवेट अस्पतालों के रिकार्ड निकलवाए.
हालंकि एनजीओ को पांच में से सिर्फ तीन ही अस्पतालों ने आंकड़े भेजे पर ये आकंड़े ही आंखें खोलने के लिए काफी थीं. आकंड़े बताते हैं कि मार्च 2010 से सितम्बर 2010 के बीच 385 महिलाओं के ऑपरेशन हुए जिनमें 226 महिलाओं के गर्भाशय हटा दिए गए. इन आंकड़ों पर सवाल इसिलए उठ रहे हैं कि इन महिलाओं की उम्र सिर्फ 20 से 30 साल के बीच ही है. यही नहीं अस्पताल ने इन महिलाओं के नाम और पते भी फर्जी डाल रखे हैं ताकि उनकी पहचान ना हो सके.
दरसल इन अस्पतालों में आने वाली गरीब महिलाओं को डाक्टर ये कह कर डरा देते थे कि उनके गर्भाश्य में इनफेक्शन है और इससे उन की जान भी जा सकती है. इसके बाद 12 से 15 हजार रुपए ऐंठ कर वो वो ऑपरेशन के जरिए गर्भाश्य को ही शरीर से अलग कर देते. जाहिर है जिसके बाद महिला कभी मां ही नहीं बन सकती. कई मामलों में तो मामूली पेट दर्द की शिकाय तक पर डाक्टरों ने गर्भाश्य का ऑप्रेशन कर दिया.
इस तरह कोख का कत्ल कर डाक्टर ना सिर्फ ऑपरेशन के नाम पर 12-15 पंद्रह हजार रुएए कमाते बल्कि जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाले 14 सौ रुपए भी डकार जाते. आंकड़ों के मुताबिक अकेले मार्च 2010 से सितम्बर 2010 तक कीरब ढाई सौ ऑपरेशन सिर्फ महिलाओं के गर्भाशय के किए गए. ये सच सामने आने के बाद सरकार ने पांचों प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.