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मध्यप्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा गत 5 जून को जबलपुर एवं भोपाल में पकड़े गए इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) के आठ में से छह आतंकवादियों ने भोपाल स्थित मण्णपुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी में अगस्त 2010 में 12 किलोग्राम स्वर्ण आभूषणों की डकैती में शामिल होने की बात स्वीकार की है. इनमें से एटीएस ने उनके पास से सवा छह किलोग्राम स्वर्ण आभूषण बरामद भी किए हैं.
मध्यप्रदेश पुलिस के एटीएस प्रमुख बिपिन महेश्वरी ने संवाददाताओं को बताया कि इस डकैती का ‘मास्टर माइंड’ आतंकवादी डा. अबू फैजल है और इसमें पांच अन्य आतंकवादी जाकिर, साजिद, असलम, मुजीबुर्रहमान एवं एजाज उद्दीन शामिल थे. इसमें से जाकिर को एटीएस ने गत तीन जून की मुठभेड़ में रतलाम से गिरफ्तार किया था.
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने पूछताछ में डकैती की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया है और पुलिस ने उनके कब्जे से सवा छह किलोग्राम स्वर्ण आभूषण बरामद किए हैं. ये लोग बाकी सामान रांची, अकोला, जलगांव, कोलकाता एवं भुसावल में बेच चुके हैं. पुलिस इस माल को भी बरामद करने और आरोपियों को पकड़ने में जुटी है.
महेश्वरी ने कहा कि मण्णपुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी भोपाल में डकैती की योजना आईएम के मास्टरमाइंड डा. अबू फैजल ने घटना के लगभग एक माह पहले बनाई थी और इसके लिए उसने कंपनी के दफ्तर की ‘रेकी’ भी की थी.
उल्लेखनीय है कि जबलपुर के चार आतंकियों को अदालत ने 11 जून तथा भोपाल की अदालत ने चार आतंकियों को 17 जून तक के पुलिस रिमांड पर भेजा हुआ है. अब तक पुलिस पूछताछ में इन आतंकियों ने मण्णपुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी के अलावा वर्ष 2009 के बाद से पांच बैंकों में डकैती डालना भी स्वीकार किया है. इनमें दो देवास जिले में तथा इटारसी, जावरा एवं पिपल्या का एक-एक बैंक शामिल है.
पुलिस पूछताछ में इन आतंकियों ने बताया है कि पहले चूंकि इन्हें दूसरे संगठनों से ‘जकात’ के रुप में आर्थिक मदद मिल जाया करती थी लेकिन प्रतिबंध के बाद यह मदद मिलनी बंद हो गयी. इसलिये अपनी गतिविधियों के लिये उन्होंने बैंक डकैती का सहारा लिया.
रतलाम में गत तीन जून को पकड़े गये सिमी कार्यकर्ता जाकिर और फरहत से पूछताछ के आधार पर एटीएस ने पांच जून को भोपाल से चार और जबलपुर से चार आतंकियों को गिरफ्तार किया था. आतंकियों के निशाने पर दिल्ली का डायमंड कामिक्स पब्लिशिंग हाउस भी था, जिसने पैगंबर हजरत मोहम्मद के संबंध में एक कार्टून छापा था.
इसके अलावा इनके निशाने पर अयोध्या में रामजन्म भूमि का फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश और हिन्दुओं की ओर से पैरवी करने वाले वकील भी थे. न्यायाधीशों और वकीलों को मारने के लिए इन लोगों ने पिछले तीन महीनों में लखनउ रहकर इलाहबाद उच्च न्यायालय की लखनउ खंडपीठ की ‘रेकी’ की थी.
पुलिस पूछताछ में आतंकियों ने बताया है कि रामजन्म भूमि को लेकर सुनाये गये फैसले से वे आहत थे और फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों अथवा हिन्दुओं की ओर से पैरवी करने वाले किसी एक वकील को मारना चाहते थे. लखनऊ में किराये पर लिये गये कमरे में मुजीब और असलम रहा करते थे, जबकि डा. अबू फैजल भी लखनऊ होकर आया था. इनके पास से फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश और वकीलों के फोटो भी मिले हैं.
जबलपुर में ये लोग अपने ही एक साथी को मारना चाहते थे. उन्हें उक्त साथी पर शक था कि वह उनके साथ धोखाधड़ी कर रहा है. जबलपुर में लिये गये कमरे में इस काम के लिए एजाजुद्दीन, मोहम्मद हबीब एवं साजिद रुके हुए थे.