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सॉलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम का इस्तीफा मंजूर

सरकार ने गोपाल सुब्रमण्यम का सॉलिसीटर जनरल पद से दिया गया इस्तीफा मंजूर कर लिया है. उच्चतम न्यायालय में एक मामले में दूरसंचार मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने के लिये एक निजी वकील की नियुक्ति पर निराशा जताते हुए पांच दिन पहले ही सुब्रमण्यम ने अपना त्याग पत्र दिया था.

भाषा
  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2011,
  • अपडेटेड 11:21 PM IST

सरकार ने गोपाल सुब्रमण्यम का सॉलिसीटर जनरल पद से दिया गया इस्तीफा मंजूर कर लिया है. उच्चतम न्यायालय में एक मामले में दूरसंचार मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने के लिये एक निजी वकील की नियुक्ति पर निराशा जताते हुए पांच दिन पहले ही सुब्रमण्यम ने अपना त्याग पत्र दिया था.

सूत्रों के मुताबिक, विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने सुब्रमण्यम का इस्तीफा मंजूर कर लिया और इस बारे में उन्हें अवगत भी करा दिया गया है. 53 वर्षीय सुब्रमण्यम को 15 जून 2009 को सॉलिसीटर जनरल नियुक्त किया गया था. उनकी नियुक्ति तीन वर्ष के लिये हुई थी. उनके बीते शनिवार को अचानक इस्तीफा दे देने से विवाद उत्पन्न हो गया था.

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दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल पर रिलायंस टेलीकॉम का पक्ष लेने का आरोप लगाती एक जनहित याचिका दाखिल होने के बाद सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिये एक निजी वकील की नियुक्ति होने के चलते सुब्रमण्यम ने यह इस्तीफा दिया था. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने सुब्रमण्यम को मनाने के लिये उनसे बातचीत भी की थी लेकिन सुब्रमण्यम पद से हटने पर जोर देते रहे.

इसके बाद सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह उन्हें और नहीं मनायेगी. विधि मंत्रालय का पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद खुर्शीद ने बुधवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर जल्द से जल्द ध्यान देंगे क्योंकि इसके कारण काफी विवाद निर्मित हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘मेरे आने से पहले काफी पानी बह चुका है. मैं हालात का जायजा लूंगा और प्रधानमंत्री से सलाह-मशविरे के बाद उनसे मिलने वाले निर्देशों के आधार पर फैसला करूंगा.’ सुब्रमण्यम ने बताया, ‘मैंने पूरी प्रतिष्ठा के साथ सॉलिसीटर जनरल का पद छोड़ा है. मैं ईश्वर का आभारी हूं कि मुझे (सॉलिसीटर जनरल के तौर पर) सेवा करने का मौका मिला.’ इससे पहले, उन्होंने कहा कि वह पद की गरिमा बनाये रखने के लिये पद छोड़ रहे हैं.

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वर्ष 1980 में कैरियर की शुरुआत के बाद 13 वर्ष के भीतर ही सुब्रमण्यम की दलीलों से उच्चतम न्यायालय इस हद तक प्रभावित हुआ कि शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए वर्ष 1993 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दे दिया. आपराधिक मुकदमे लड़ने के लिये पहचाने जाने वाले वकील सुब्रमण्यम को संसद पर हुए हमले के मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया.

जेसिका लाल हत्याकांड मामले में मनु शर्मा को दोषी करार दिये जाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. उन्हें इस मामले में उच्च अदालत में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व करने को कहा गया था. सुब्रमण्यम का इस्तीफा मंजूर होने के बाद नये सॉलिसीटर जनरल के लिये तलाश शुरू हो गयी है. यह एटॉर्नी जनरल के बाद सरकार के दूसरे वरिष्ठतम विधि अधिकारी का पद होता है.

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