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यूपी के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में नैनीताल हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है. इससे पहले निचली अदालत ने अमरमणि को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा दी थी.
अमरमणि त्रिपाठी सहित पांचों दोषियों की सजा को बरकरार रखने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर मधुमिता शुक्ला की बहन ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद अब जाहिर तौर पर अमरमणि सुप्रीम कोर्ट जाएगा और मेरी लड़ाई अंतिम क्षण तक जारी रहेगी.
इससे पहले मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की इजाजत मांगी है. निधि शुक्ला का आरोप है कि उम्रकैद के बावजूद सरकार की शह पर अमरमणि त्रिपाठी खुलेआम घूम रहे हैं. निधि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी एक अर्जी दाखिल करने वाली हैं.
मधुमिता शुक्ला एक कवि थी और माना जाता है अमरमणि त्रिपाठी से अवैध संबंधों के चलते ही 9 मई 2003 को 24 साल की मधुमिता की उनके घर में लखनऊ में हत्या कर दी गई थी. मधुमिता शुक्ला के गर्भ में पल रहे बच्चे का डीएनए टेस्ट करने पर साफ हो गया कि वह बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का ही था और दोनों के बीच अंतरंग संबंध थे.
मामला सीबीआई में जाने के बाद हत्या में शामिल होने के आरोप में अमरमणि को सितंबर 2003 में गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद अक्टूबर 2007 में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
जेल में रहते हुए ही अमरमणि त्रिपाठी ने महाराजगंज के लक्ष्मीपुर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2007 में विधानसभा चुनाव जीता. मार्च 2007 में इस केस को देहरादून की स्पेशल कोर्ट में ट्रांस्फर कर दिया गया जहां से अक्टूबर 2007 में अमरमणि, उनकी पत्नी और तीन अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
2012 के चुनाव में अमरमणि ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर नौतनवा से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन सपा की लहर के बावजूद वे चुनाव हार गए.