
आईएसआईएस के ताबूत में आखिरी कील ठोकने की शुरूआत हो चुकी है. बगदाद के बाद इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल में इराकी फौज 13 साल बाद अपनी सबसे बड़ी जंग लड़ने जा रही है. मोसूल वही शहर है, जिस पर कब्जा करने के बाद बगदादी ने खुद को खलीफा और मोसूल को आईएस का हेडक्वार्टर करार दिया था. मगर अब दो साल बाद तीस हजार से भी ज्यादा इराकी फौजों ने मोसूल पर चढ़ाई कर बगदादी को आखिरी शिकस्त देने का एलान कर दिया है.
जिस इराक से बगदादी और आईएस ने सिर उठाया था, उसी इराक में अब उसका खात्मा तय है. इराकी प्रधानमंत्री ने आईएस के खात्मे के लिए आखिरी जंग का ऐलान कर दिया है. इराकी फौजों ने मोसुल को दहशतगर्दी से रिहाई दिलाने के लिए मोर्चे संभाल लिए हैं. इसके साथ ही अब इस रेतीली जमीन पर बगदादी के आतंकियों से उनके किए का हिसाब लिया जा रहा है.
इराक में इस्लामिक स्टेट के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने के लिए 13 साल बाद इराक में शुरू हो गई है. इराक ने इससे पहले इतनी बड़ी जंग 2003 में देखी थी. जब अमेरिका ने सद्दाम हुसैन का तख्ता पलटने के लिए हमला बोला था. ये जंग है इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से आजाद कराने की. बगदादी और उसके लड़ाकों से मोसुल को आजाद कराने के लिए करीब 30 हजार सैनिकों की फौज कूच कर चुकी है. इन सैनिकों को करीब 90 इराकी हवाई जहाजों का सपोर्ट मिल रहा है.
मोसुल में आतंक के सफाए के लिए शुरू हुए इस ऑपरेशन में अब तक मिली जानकारी के मुताबिक सेना के हवाई हमलों में आईएस के 20 आतंकी मारे गए हैं. तेजी से आगे बढ़ रही सेना जहां एक तरफ आतंकियों को खदेड़ने में कामयाब हो रही है, वहीं दूसरी तरफ मोसुल के आसपास के इलाकों और गांवों पर भी उसने कब्जा जमाना शुरू कर दिया है.
आतंकी सेना पर कर रहे हमला
इस्लामिक स्टेट का सफाया करने के लिए इराकी सेना का साथ देने के लिए अमेरिका ने 67 देशों की मित्र सेना बनाई है और ये सभी मोसुल को आजाद कराने के अभियान में शामिल हैं. इराकी फौज के लिए काम को आसान करने के लिए मित्र सेना दुश्मन के ठिकानों पर हवाई हमले कर रही है. मोसुल से अपने कदमों को उखड़ता देख आईएसआईएस ने जगह-जगह सुसाइड कार बॉम्बर्स तैनात कर दिए हैं. जैसे-जैसे इराकी सेना मोसुल की तरफ बढ़ रही है. आईएस की तरफ से हो रहे ये हमले भी बढ़ रहे हैं. आतंकी लगातार सेना पर हमला कर रहे हैं. हार करीब देख उन्होंने मोसुल के कई तेल के कुओं में आग भी लगा दी है. कहा जा रहा है कि अगर मोसुल शहर से आईएस का कब्जा खत्म जाता है तो फिर इराक में अपनी जमीन तलाश रहे इन आतंकियों को किसी दूसरे देश का रूख करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
इराक से इस्लामिक स्टेट का खात्मा!
15 लाख की आबादी वाले मोसूल शहर से करीब तीन लाख लोग पहले ही भाग चुके हैं. अब इराकी फौज की चढ़ाई के बाद करीब एक लाख लोग मोसूल छोड़ कर सरिया और तुर्की की तरफ जा रहे हैं. दरअसल मोसूल के लोगों को खतरा ये है कि हार करीब देखकर आईएस के आतंकवादी उन्हें अपनी ढाल बना सकते हैं. आईएस ने इसकी शुरूआत भी कर दी है. वो तेल के कुएं में आग लगाने के साथ-साथ सड़कों पर तेल फेंक कर उनमें भी आग लगा रहा है. आईएस के खात्मे के लिए मोसुल शहर की आजादी बेहद जरूरी है. दरअसल जून 2014 में मोसूल पर कब्जा करने के बाद बगदादी ने इसे न सिर्फ अपने आतंक के साम्राज्य की राजधानी बनाया. बल्कि यहीं से उसने खुद की खिलाफत का ऐलान भी किया. इसलिए अगर मोसूल में बगदादी की शिकस्त होती है तो जाहिर तौर पर इसका मतलब है इराक से इस्लामिक स्टेट का खात्मा.
लंबी खिंच सकती है जंग
इतना ही नहीं मोसुल में तेल का अकूत भंडार है. अगर ये शहर हाथ से जाता है तो आईएस की कमाई का एक बड़ा जरिया बंद हो जाएगा. इसके बाद इराक के महज 10 फीसदी हिस्से पर ही आईएस का प्रभाव रह जाएगा. पेंटागन के मुताबिक इराकी सेना अपने तय लक्ष्य से आगे चल रही है. हालांकि ये भी अंदेशा जताया जा रहा है कि आतंकियों से मोसुल को खाली कराने की ये जंग लंबी खिंच सकती है. इसके संकेत भी मिल रहे हैं. आतंकी इराकी सेना को मोसुल में दाखिल होने से रोकने के लिए जवाबी कार्रवाई में किसी भी हद तक जा रहे हैं. सेना के टैंकों को निशाना बनाने के अलावा आतंकी शहर के अंदर तेल फैला कर उसमें आग लगा रहे हैं. जिससे पूरे शहर में धुएं का जबर्दस्त गुबार उठ रहा है और इसी गुबार की आड़ में वो खुद के लिए भागने का रास्ता तैयार कर रहे हैं.
3 लाख लोगों ने छोड़ा अपना घर
एक तरफ जहां मोसुल का ये महायुद्ध प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है. वहीं शहर में रहने वाले 15 लाख लोगों की सुरक्षा को लेकर भी फिक्र बढ़ने लगी है. अंदेशा है कि आतंकी अपनी जान बचाने के लिए आम लोगों का ढाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. लिहाजा ऐसे हालात से निपटने के लिए इराकी सेना ने मोसुल शहर पर काफी तादाद में पर्चे गिराए हैं. जिसमें आम लोगों को नसीहत दी जा रही है कि लड़ाई के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए उन्हें क्या करना है. संयुक्त राष्ट्र को अंदेशा है कि मोसुल में लड़ाई के चलते यहां से करीब एक लाख इराकियों को जान बचाने के लिए सीरिया या तुर्की भागना पड़ सकता है. इराक में आतंकियों के खौफ से करीब तीन लाख से ज्यादा लोग पहले से ही अपने अपने घरों को छोड़कर जा चुके हैं. लिहाजा दोबारा ऐसे हालात पैदा होने की स्थिति में शरणार्थियों की मदद के इंतजाम अभी से शुरू कर दिए गए हैं.
बगदादी की होगी सबसे बड़ी शिकस्त!
मोसुल को आतंकियों के चंगुल से रिहा कराने के लिए शूरू हुए इस ऑपरेशन की तैयारी करीब एक महीने से चल रही थीं. अभी इराकी फौज मोसुल तक पहुंची भी नहीं है. मगर अभी से ही आतंकी बौखलाए नजर आ रहे हैं. जानकार मान रहे हैं कि इराक में इस्लामिक स्टेट के पूरी तरह खात्मे की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, क्योंकि इराक का यही शहर अभी भी आईएस का गढ़ है. बाकी इलाकों से तो उसके पैर कब के उखड़ चुके हैं. सीरिया में भी सिर्फ रक्का शहर में ही इस्लामिक स्टेट का कब्जा रह गया है. ऐसे में मोसुल की हार बगदादी की अब तक की सबसे बडी शिकस्त होगी.