
गुजरात के मेहसाना मंदिर के बाहर भीख मांगने वाले खेमजी प्रजापति के बारे में कुछ तो खास है. वो दूसरे भिखारियों की तरह नहीं हैं. उनके भीख मांगने के पीछे का उद्देश्य सिर्फ पेट पालना नहीं है, बल्कि एक बड़ी वजह है.
15 साल की उम्र, लेकिन जीत चुका है 15 अवॉर्ड
भीख में मिले पैसों को खेमजी गरीब बच्चियों को पढ़ाने में खर्च करते हैं. खेमजी भाई के अनुसार मेहसाना में बच्चियों की संख्या बहुत कम है और यही वजह है कि खेमजी इन बच्चियों को पढ़ाना और आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं ताकि आगे चलकर ये अपने पैरों पर खड़ी हो सकें.
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इन 13 साल के दौरान खेमजीभाई ने गरीब बच्चियों की किताबों, स्कूल यूनिफॉर्म और उनकी फीस पर 80,000 रुपये खर्च किए हैं. उन्होंने 12 प्राइमरी स्कूल, जिसमें विकलांगों के लिए स्कूल दिशा डे स्कूल को भी डोनेट किया.
हाथ नहीं, पैरों से पेंटिंग बनाकर बनाई पहचान
खेमजीभाई को उनके प्रयास के लिए रोटरी क्लब ऑफ इंडिया की ओर से 'लिट्रेसी हीरो अवॉर्ड' से नवाजा गया है. फरवरी के पहले सप्ताह में खेमजी ने 10 गरीब बच्चियों को सोने के ईयररिंग्स दिए हैं. ताकि पढ़ाई के लिए उन्हें और भी प्रोत्साहित कर सकें.