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150 साल बाद इस गांव में स्‍टूडेंट्स ने की 10वीं पास

बंगाल के एक गांव में जो काम कोई 150 साल में नहीं कर सका, वह 4 बच्चों ने कर दिखाया है. जानें क्या है इनका कारनामा...

10वीं पास करने वाले बच्‍चे (Source : Twitter) 10वीं पास करने वाले बच्‍चे (Source : Twitter)

बंगाल में शांतिनिकेतन से 56 किमी दूर एक गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है. इसकी वजह यहां के चार बच्‍चों का 150 साल में पहली बार 10वीं पास करना है. ऐसा गांव में किसी ने पहली बार किया है लिहाजा यह काम एक मिसाल बन गया है.

कौन हैं ये होनहार :
इस इतिहास को रचने वाले चार स्‍टूडेंट हैं जिनका नाम, कुकुमोनी तोडु, साहेब मादी, मंगल मुरमू, कुकोमोनी है. इन चार होनहारों में 2 लड़कियां भी हैं. बता दें कि इस गांव में 40 परिवार रहते हैं, जो यहां पिछले 150 वर्षों से बसे हैं और इनके जीवनयापन का जरिया खेती- किसानी है.

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ये है रिपोर्ट कार्ड:
कुकुमोनी तोडु: 33 फीसदी
साहेब मादी: 29 फीसदी
सुमी मादी: 31 फीसदी
मंगल मुरमू: 29 फीसदी
हालांकि दूसरे बच्चों की तुलना में इनके नंबर भले ही कम लगें, लेकिन इनके अभावों और इतिहास बदलने वाले कारनामे को देखा जाए तो वाकई ये बच्चे प्रोत्साहन और पुरस्कार के हकदार हैं.

कामयबी पाने में देरी की वजह:
कई साल पहले तक इस गांव के बच्‍चों के पास प्राइमरी स्‍कूल जाने का ऑप्‍शन था, जो तीन किमी दूर था. बच्‍चे स्‍कूल में एडमिशन लेते लेकिन जल्‍द ही पढ़ाई बीच में छोड़ देते थे. इसका कारण किसानों के पास रोजाना बच्‍चों को स्‍कूल छोड़ने नहीं जा पाना था.

बदलाव का दौर:
गांव की समस्‍या पर यहां के गांव मल्‍लापुर में बने एक एनजीओ ने जिम्‍मा उठाते हुए यहां एक प्री प्राइमरी स्‍कूल साल 2001 में खोला. एक साल के बाद सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम की ओर से आर्थिक मदद मिलने के बाद प्री प्राइमरी स्‍कूल शिशु शिक्षा केंद्र बन गया. 10वीं पास होने वाले चारों स्‍टूडेंट इसी केंद्र से पढ़े हुए हैं.

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सम्‍मानित होंगे स्‍टूडेंट्स:
बच्‍चों की प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए जिला अधिकारी ने उन्‍हें सम्‍मानित किए जाने की घोषणा की है. साथ ही बच्‍चों की भवि‍ष्य की शिक्षा का खर्च उठाने की बात भी कही है.

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