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यूपीः कानपुर से अगवा किए गए बच्चे का बेरहमी से कत्ल

यूपी के कानपुर से करीब एक हफ्ते पहले अगवा किए गए बैंक मैनेजर के इकलौते बच्चे को अगवा कर उसकी हत्या कर दी गई. बच्चे को उस वक्त अगवा किया गया था, जब वह ट्यूशन पढ़ने घर से बाहर गया था. इस काम को अंजाम देने वाला और कोई नहीं बल्कि बच्चे के रिश्तेदार ही थे.

पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है
परवेज़ सागर
  • कानपुर,
  • 18 जून 2016,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर से करीब एक हफ्ते पहले अगवा किए गए बैंक मैनेजर के इकलौते बच्चे को अगवा कर उसकी हत्या कर दी गई. बच्चे को उस वक्त अगवा किया गया था, जब वह ट्यूशन पढ़ने घर से बाहर गया था. इस काम को अंजाम देने वाला और कोई नहीं बल्कि बच्चे के रिश्तेदार ही थे.

मामला कानपुर शहर का है. जहां धर्मपाल सिंह एक बैंक के मैनेजर हैं और अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते हैं. बीती 8 जून को धर्मपाल सिंह का बेटा आशुतोष शाम करीब साढ़े चार बजे अपनी बहन तान्या के साथ मोहल्ले में ही एक टीचर के घर ट्यूशन पढ़ने गया था. बहन उसे टीचर के घर छोड़कर आ गई थी. कुछ देर बाद आशुतोष भी वहां से निकला लेकिन वह घर नहीं लौटा.

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इससे पहले कि घर वाले उसकी तलाश करते धर्मपाल सिंह के घर पर एक फोन आया. फोन करने वालों ने खुद को अपहरणकर्ता बताते हुए कहा कि उनका बेटा आशुतोष उनके कब्जे में है. बदमाशों ने फोन पर ही उसकी जान के बदले 25 लाख रुपये की मांग की और फोन काट दिया.

अपहरणकर्ताओं ने यह भी नहीं बताया कि पैसा कब और कहां पहुंचाना है. इसके बाद 8 दिन तक पुलिस इधर उधर हाथ पांव मारती रही लेकिन बच्चे का कुछ पता नहीं चला. आखिरकार फोन कॉल सर्विंलास के जरिए आसपास के टावर के रिकॉर्ड निकाले गए. तब जाकर पता चला की इस पूरी साजिश में और कोई नहीं बल्कि बच्चे के रिश्तेदार ही शामिल हैं.

दरअसल, अपहरण और हत्या की यह साजिश किसी और ने नहीं बल्कि आशुतोष के मौसा के भाई प्रकाश और उसकी पत्नी रौनक ने रची थी. जिसमें उनका देने वालों में विशाल, शेरा और संध्या नाम की महिला भी शामिल थी. पुलिस के मुताबिक सभी ने पकड़े जाने के बाद अपना जुर्म कबूल कर लिया है.

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पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने आशुतोष को किडनैप करने के दो दिन बाद यानी 10 जून को ही मार डाला था. और सबूत छिपाने के लिए उसकी लाश को मुंगीसापुर पुलिया के नीचे जला दिया था. अब अपनी आखों का तारा गंवा चुके इस परिवार के पास अब मातम के सिवा कुछ नहीं बचा है.

ये परिवार आज भी उस दिन को कोस रहा है. जब उन्होंने अपने बच्चे को ट्यूशन के लिए भेजा था. आशुतोष तीन बहनों का एकलौता भाई था. और घर का सबसे छोटा सदस्य था. लेकिन लालची रिश्तेदारों ने पैसों के लिए इस घर से इनका चिराग छीन लिया.

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