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चिदंबरम ने कहा- दोषपूर्ण GST से बिल में देरी अच्छी है

चिदंबरम ने ट्वि‍टर पर लिखा, 'वित्त मंत्री अरुण जेटली से सहमत हूं. एक दोषपूर्ण जीएसटी से बेहतर है इसका देर से लागू होना.'

पी. चिदंबरम पी. चिदंबरम
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 6:03 PM IST

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि वह वित्त मंत्री अरण जेटली की इस बात से सहमत हैं कि एक दोषपूर्ण जीएसटी से बेहतर होगा कि जीएसटी विधेयक देर से ही पारित हो. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा विधेयक ‘दोषपूर्ण’ है.

चिदंबरम ने ट्वि‍टर पर लिखा, 'वित्त मंत्री अरुण जेटली से सहमत हूं. एक दोषपूर्ण जीएसटी से बेहतर है इसका देर से लागू होना. मौजूदा जीएसटी विधेयक दोषपूर्ण है.'

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गौरतलब है कि शनिवार को जेटली ने भी फिक्की की सालाना आम सभा में संकेत दिया था कि वस्तु एवं सेवाकर विधेयक का संसद के शीतकालीन सत्र में पारित होना संभव नहीं लगता और एक दोषपूर्ण विधेयक से बेहतर है कि विधेयक विलंब से आए. कांग्रेस की एक मांग है कि जीएसटी दर पर सीमा लगे और इसे संविधान संशोधन विधेयक में शामिल किया जाए. वित्त मंत्री जेटली ने साफ कहा है कि कर की दर को संविधान का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता.

एक फीसदी अतिरिक्त GST पर आपत्ति
कांग्रेस एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए भेजी जाने वाली वस्तुओं पर एक फीसदी अतिरिक्त जीएसटी लगाने के प्रस्ताव को भी हटाने की मांग कर रही है, जिस पर सरकार विचार करने को तैयार दिखती है.

चिदंबरम ने कहा, 'कांग्रेस की तीन भारी आपत्तियों को मान लें तो विधेयक पारित हो सकता है.' उन्होंने कहा है कि एक फीसदी अतिरिक्त कर का प्रस्ताव यूं भी खत्म हो चुका है. इसको हटा दिया जाए.

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चिदंबरम ने आगे लिखा, 'कुशलता पूर्वक तैयार मसौदे से जीएसटी की दर पर सीमा का प्रावधान संविधान संशोधन विधेयक में किया जा सकता है. इस बारे में विपक्षी पार्टी से बात करें.'

विधेयक में शिकायत निपटाने के लिए एक व्यवस्था होनी चाहिए, कांग्रेस की इस मांग पर चिदंबरम ने कहा, 'कोई भी राज्य स्वतंत्र विवाद निपटान व्यवस्था के खिलाफ नहीं है. इसे स्थापित करें.'

'देरी की हैं और वजहें: जेटली'
बता दें कि जेटली ने शनिवार को फिक्की की बैठक में कहा था, 'जहां तक जीएसटी का संबंध है, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीएसटी में देरी पूरी तरह से किसी और वजह से कराई जा रही है. मेरे विचार से यह दूसरी वजह सिर्फ यह है कि यदि हम इसे नहीं कर सके तो इसे कोई दूसरा क्यों करे.'

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