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परिणीति की कहानी जिम्मेदारियों का रोना रोने वालों के लिए एक सीख है...

अपने घर में वो सबसे बड़ी हैं इसलिए घर की जिम्मेदारियों से भी मुंह नहीं मोड़ सकतीं. एक ओर परिवार की जिम्मेदारी है और दूसरी ओर खुद के सपने. जिम्मेदारी और सपनों के लिए ही वो एक दिन में तीन-तीन किरदार निभाती हैं...

परिणीति परिणीति
धरमबीर सिन्हा
  • रांची ,
  • 28 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

सुबह के समय वो बच्चों को पढ़ाने वाली टीचर हैं. दोपहर में पसीना बहाने वाली मजदूर और शाम को ट्रेनिंग देने वाली कोच. एक लड़की जो दिन के तीन पहर में तीन अलग-अलग तरह के काम करके अपना और अपने घरवालों का पेट पालती है.

अपनी जिम्मेदारियों को खुशी के निभाने वाली इस लड़की का नाम है परिणीति. रांची की परिणीति फुटबॉल खेलती हैं और उनका सपना है कि वो नेशनल लेवल पर खेलें. 

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रांची के एक छोटे से गांव सुंडिल में रहने वाल परिणीति एक गरीब परिवार से आती हैं. अपने घर में वो सबसे बड़ी हैं इसलिए घर की जिम्मेदारियों से भी मुंह नहीं मोड़ सकतीं. एक ओर परिवार की जिम्मेदारी है और दूसरी ओर खुद के सपने. जिम्मेदारी और सपनों के लिए ही वो एक दिन में तीन-तीन किरदार निभाती हैं. इतना ही नहीं वो बीए पार्ट 2 की स्टूडेंट भी हैं.

परिणीति नेटबॉल में 3 बार नेशनल खेल चुकी हैं. फुटबॉल में भी तीन बार ईस्ट जोन का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. 2013 में वो ईस्ट जोन फुटबॉल टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं. परिणीति को कई सम्मान मिल चुके हैं. उनके परिवार में उनका एक भाई और मम्मी-पापा हैं. इन सबकी जिम्मेदारी परिणीति पर ही है.

परिणीति की कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है जो अभावों का रोना रोते हैं. या जिम्मेदारियों की बात कहकर असफलताओं को छिपाते हैं. परिणीति न केवल पूरी जिम्मेदारी से अपने परिवार को आगे बढ़ा रही हैं बल्क‍ि अपने सपनों को भी तिनका-तिनका करके जोड़ रही हैं.

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