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जब हिंसा के बीच सकून बन खड़े हुए मुस्लिम पड़ोसी,कराई हिंदू दुल्हन की शादी

उत्तर पूर्वी दिल्ली जल रही थी और मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदू परिवार को अपनी बेटी की शादी कैंसिल करने के लिए मजबूर हो पड़ा. लेकिन एक दिन बाद मुस्लिम पड़ोसियों ने एकत्र होकर यह शादी कराई.

शादी के लिए मुस्लिम पड़ोसी सावित्री के घर जुटे हुए थे (फोटो-रॉयटर्स) शादी के लिए मुस्लिम पड़ोसी सावित्री के घर जुटे हुए थे (फोटो-रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST

  • चांद बाग इलाके में हिंसा की वजह एक दिन टल गई शादी
  • हिंसा के बीच हिंदू परिवार के साथ खड़े हुए मुस्लिम पड़ोसी

उत्तर पूर्वी दिल्ली जल रही थी और मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदू परिवार को अपनी बेटी की शादी कैंसिल करने के लिए मजबूर हो पड़ा. हाथों में मेहंदी, और बदन पर हल्दी लगाए सावित्री प्रसाद मंगलवार को हिंसा भड़कने की वजह से रोने लगी थीं. सावित्री बताती हैं कि मंगलवार 25 फरवरी को उनकी शादी की तारीख थी. लेकिन उनके पिता ने हिंसा की वजह से एक दिन बाद शादी का आयोजन किया.

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सावित्री प्रसाद के पिता कहते हैं कि उनके मुस्लिम पड़ोसी ही उनके परिवार के साथ रहे और उनकी मौजूदगी से वह सकून महसूस करते हैं. सावित्री प्रसाद बताती हैं, 'मेरे मुस्लिम भाइयों ने आज मुझे बचाया.' यह बताते हुए सावित्री प्रसाद फिर रोने लगीं और कहा कि परिवार और मुसलमान पड़ोसियों की वजह से उन्हें सकून का अहसास हो रहा है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चांद बाग इलाके में संकरी गली में सावित्री प्रसाद का छोटा सा घर है, जहां उनकी शादी की रस्में पूरी की गईं. सावित्री के घर से थोड़ी दूर आगे मुख्य सड़क है, जो युद्ध का मैदान नजर आ रही थी जहां दुकानों और कारों को आग हवाले कर दिया गया था. सड़क पर बिखरे पड़े तबाही के सबूत नजर आ रहे थे. दिल्ली हिंसा में अब तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 38 हो चुकी है.

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सावित्री के पिता भोदय प्रसाद कहते हैं, 'हम छत पर गए और देखा कि चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ धुंआ नजर आ रहा था. यह नजारा सोमवार और मंगलवार दो दिनों तक बना रहा.' उन्होंने कहा, "यह भयानक है. हम सिर्फ शांति चाहते हैं," भोदय प्रसाद ने कहा कि वह वर्षों से इस क्षेत्र में मुसलमानों के साथ बिना किसी परेशानी के रह रहे हैं.

भोदय प्रसाद ने कहा, "हम नहीं जानते कि हिंसा के पीछे कौन लोग हैं, लेकिन वे मेरे पड़ोसी नहीं थे. यहां हिंदू और मुसलमानों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है." सोमवार 24 फरवरी को हल्दी की रस्म थी और उसी दिन सावित्री के हाथों में मेंहदी लगी थी. लेकिन उसी दिन इलाके में हिंसा भड़क उठी थी.

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सावित्री ने बताया, "उस दिन बाहर बहुत हंगामा हो रहा था, लेकिन मैंने मेंहदी लगाई हुई थी, हम उम्मीद कर रहे थे कि अगले दिन चीजें बेहतर जाएंगी." लेकिन हालात सुधरे नहीं. इसके बाद उनके पिता ने वर पक्ष से कहा कि ऐसे हालात में बारात लेकर उनके घर आना खतरे से खाली नहीं है.

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सावित्री की पड़ोसी समीना बेगम बताती हैं, "हमारा दिल इस बात से दुखता है कि जिस दिन लड़की को खुश रहना था, उस दिन वो लड़की घर में बैठकर रो रही थी."

बुधवार को हिंसा कम हो गई थी, लेकिन बाजार बंद रहे और लोगों ने घरों में रहना ही बेहतर समझा.

सावित्री के पिता ने बताया कि उन्होंने शादी का बड़ा समारोह आयोजित नहीं किया. शादी के लिए संवार रहीं सावित्री की चचेरी बहन पूजा ने कहा, "हिंदू या मुस्लिम, हम सभी इंसान हैं और हम सभी हिंसा से घबरा गए हैं." उन्होंने कहा, 'यह लड़ाई धर्म की नहीं थी, लेकिन इसे ऐसे ही बनाया गया."

शादी के लिए मुस्लिम पड़ोसी सावित्री के घर जुटे हुए थे. दूल्हे के पहुंचते ही मुस्लिम पड़ोसी आशीर्वाद देने के लिए इकट्ठा हुए और शादी की रस्में हुईं. घर के बाहर अन्य मेहमानों के साथ मौजूद आमिर मलिक ने कहा, "हम अपने हिंदू भाइयों के साथ शांति से रहते हैं, हम उनके लिए सब कुछ हैं, इसलिए हम यहां हैं."

भोदय प्रसाद कहते हैं, "आज, हमारे रिश्तेदारों में से कोई भी मेरी बेटी की शादी में शामिल नहीं हो सका, लेकिन हमारे मुस्लिम पड़ोसी यहां हैं. वो हमारा परिवार हैं."

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