
23 साल के जाहिद पाशा की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. जाहिद का 15 साल पहले हरियाणा के मेवात जिले से अपहरण कर लिया गया था क्योंकि वह मर्डर के मामले में गवाह था. अपहरणकर्ताओं ने जाहिद को उसके घर से 2500 कि.मी. दूर कर्नाटक में छोड़ दिया. उस समय जाहिद की उम्र केवल 8 साल थी.
मस्जिद में मिली पनाह
जाहिद को किसी तरह एक मस्जिद में पनाह मिली जहां से एक केबल ऑपरेटर फारुक पाशा उन्हें अपने साथ ले गए. जाहिद, फारुक के सहायक के तौर पर काम करता हुआ बड़ा हुआ और शादी भी कर ली.
सेल्फी विद डॉटर प्रोग्राम से मिला सरपंच का मोबाईल नं.
जाहिद अपने गांव के नाम और पिता के नाम के अलावा सब कुछ भूल ही चुका था लेकिन एक दिन हरियाणा के जींद के बीबीपुर गांव के सरपंच सुनील जागलान का मोबाइल नं. 'सेल्फी विद डॉटर ' नाम के प्रोग्राम में दिखाया जा रहा था. उसने उस मोबाइल नं. पर फोन कर सरपंच को सारी घटना सुनाई और उसके गांव का पता लगाने की गुजारिश की.
ईद पर मिलेगा घर वालों से जाहिद
सुनील जागलान ने भी गांव खोजने जिम्मा उठाते हुए जाहिद को भरोसा दिलाया. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी सुनेदा गांव नहीं मिल रहा था. सुनील ने हरसंभव तरीके से गांव को खोजने की कोशिश की और आखिरकार सुनेड़ा नाम का गांव मिला जिसमें जाहिद के पिता अकबर भी मिले. अब जाहिद इस ईद को 15 साल बाद अपने घर वालों से मिलने जा रहा है.