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बिहार की शराबबंदी पर दिखाई दे रहा है 'आज तक' के स्टिंग का असर

बिहार में शराबबंदी का असर शराबबंदी के खिलाफ बना सख्त कानून तो है ही, साथ ही 'आज तक' के स्टिंग ऑपरेशन से भी लोगों में काफी खौफ है. स्टिंग ऑपरेशन में फंसे सत्ताधारी गठबंधन के कांग्रेसी विधायक विनय वर्मा पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है.

विधायक विनय वर्मा के खिलाफ शराबबंदी कानून के तहत मामला दर्ज विधायक विनय वर्मा के खिलाफ शराबबंदी कानून के तहत मामला दर्ज
सना जैदी
  • पटना,
  • 02 मई 2016,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

बिहार में शराबबंदी के बाद न सिर्फ आम जनता चैन से है बल्कि पुलिस भी चैन की बंशी बजा रही है. शराबबंदी के बाद राज्य में अपराध कम हुए हैं तो सड़क पर दुर्घटनाओं में भी कमी हुई है. हांलाकि राज्य सरकार ने पूर्ण शराबबंदी का फैसला अचानक लिया लेकिन सरकार के इस फैसले का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. पूरे बिहार का दौरा करने के बाद यह साफ हो जाता है कि आम जनता शराबबंदी से बहुत खुश है.

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बिहार में शराबबंदी का असर शराबबंदी के खिलाफ बना सख्त कानून तो है ही, साथ ही 'आज तक' के स्टिंग ऑपरेशन से भी लोगों में काफी खौफ है. स्टिंग ऑपरेशन में फंसे सत्ताधारी गठबंधन के कांग्रेसी विधायक विनय वर्मा पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार उनके शिकारपुर स्थित घर और पटना के आवास पर छापेमारी कर रही है.

विधायक ने दिया था शराब का ऑफर
नरकटियागंज के विधायक विनय वर्मा ने आज तक के स्टिंग में शराब पिलाने का ऑफर दिया था. उन पर शराबबंदी कानून के तहत कई धाराओं में शिकारपुर पुलिस थाने और पाटलिपुत्र पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है. उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने पुलिस के सहयोग से उनके आवास पर इसलिए छापेमारी की क्योंकि स्टिंग में उन्होंने कहा था कि उनके पटना और शिकारपुर स्थित आवास पर कई तरह के विदेशी शराब मौजूद है. उन्होंने ये भी कहा था कि किसी कि हिम्मत नहीं कि वो उनके घर पर आकर रेड कर सके. हांलाकि इलाके के लोग जानते हैं कि विधायक शराब नहीं पीते हैं. उन्होंने कई साल पहले शराब से तौबा कर ली थी. लेकिन उन्हें पीने का नहीं पिलाने का शौक था. इसी शौक के चलते वो भागे भागे फिर रहें हैं. पुलिस लगातार उन्हें गिरफ्तार करने के लिए जांच में तेजी ला रही है.

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'आज तक' से पुलिस ने मांगी स्टिंग ऑपरेशन की कॉपी
इस संबंध में पुलिस ने आज तक से स्टिंग ऑपरेशन की कॉपी भी मांगी है. जिससे विधायक के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए जा सकें. पश्चिमी चम्पारण के नरकटियागंज विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर जीते विनय वर्मा स्टेट फैमली से आते हैं. शिकारपुर स्टेट से ताल्लुक रखने वाले विनय वर्मा के परिवार का इलाके में काफी रसूख है. नरकटियागंज में थाना का नाम शिकारपुर हैं. यह थाना आजादी के पहले शिकारपुर जाने के लिए चेक पोस्ट की तरह था. जो शिकारपुर की सुरक्षा के लिए बनाया गया था. आज हालत ये है कि शिकारपुर थाना लगातार विधायक के घर पर उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रहा है.

विधायक की इलाके में है अच्छी छवि
नरकटियागंज में विधायक की इलाके में अच्छी छवि है. उनका पूरा परिवार राजनैतिक है. उनके पिता विधायक थे उनके चचेरे भाई दिलीप वर्मा कई बार विधायक रह चुके हैं. एक और चचेरे भाई बेतिया से सांसद रह चुके हैं और छोटे चचेरे भाई की पत्नी भी विधायक रही हैं. कांग्रेस पार्टी बिहार में महागठबंधन सरकार का हिस्सा है. इसके बावजूद विधायक के खिलाफ कार्रवाई पर कोई कोताही नहीं है.

शिकारपुर थाने के एसएचओ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि विधायक की गिरफ्तारी के लिए तमाम प्रयास किए जा रहें हैं. हांलाकि उनके आवास पर कई बार छापेमारी के बावजूद एक बोतल शराब भी बरामद नहीं हुई है. इस मामले में एफआईआर दर्ज करने वाले उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सुप्रीटेंडेंट राकेश कुमार ने कहा कि विधायक ने जांच में सहयोग नहीं किया. उन्हें पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया लेकिन वो वहां से चले गए. इसलिए मामला ज्यादा गंभीर हो गया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी.

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अपराध में हुई कमी इस घटना ने पूरे बिहार में सरकार के शराबबंदी की मुहिम को एक मैसेज दिया है. राजा हो या रंक अगर शराबबंदी कानून के खिलाफ गए तो जेल जाना ही होगा. इसमें जमानत भी नहीं मिलती. शिकारपुर थाने के आंकड़ों पर गौर करें तो 2015 के अप्रैल महीने में 41 एफआईआर दर्ज की गई थीं. लेकिन 2016 के अप्रैल महीने में केवल 30 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से 11 केस शराबबंदी कानून के तहत हैं. अब इससे पूरे बिहार के दर्ज मामलों का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपराध में कितनी कमी आई है. सरकार ने शुरू में कहा था कि शराबबंदी की वजह से अपराध में 27 प्रतिशत की कमी आई है. यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.

पुलिस को भी मिली राहत
पुलिस के लिए शराबबंदी के पहले शाम 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक अपराध का प्राईम टाईम होता था. लोग शराब पीकर मारपीट और दंगा फंसाद करते थे. लेकिन अब शांति है चौक चौराहे पर जहां पहले देर रात तक लोग जमा होकर हुडदंग मचाते थे आज शाम ढलते ही घर के अंदर चले जाते हैं. चौक चौराहो पर दुकानें तो खुली रहती हैं लेकिन खरीददार बहुत कम दिखाई देते हैं. पटना में भी 9 बजे के बाद सड़के लगभग खाली हो जाती हैं. इससे पुलिस को भी राहत मिली है.

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होटलों में भी शराब पीने पर पाबंदी
पटना के पनाश होटल में कमरा नंबर 308 में एक शादी समारोह में आए मेहमानों के लिए शराब पीने की विशेष व्यवस्था की वजह से 7 बड़े व्यापरियों को जेल की हवा खानी पड़ रही है. यही नहीं पुलिस ने होटल के मालिक को भी इसमें आरोपी बना दिया है. इस तरह के तमाम उदाहरण लोगों में खौफ पैदा करने के लिए काफी हैं.

शराबबंदी के फैसले से 100 फीसदी महिलाएं खुश
हांलाकि इसके बावजूद भी कहीं-कहीं से शराब की तस्करी की सूचना आ रही है. नेपाल से लगे खुला बोर्डर की वजह से नेपाल से सटे इलाको में लोग शराब पीकर आते हैं. वहां के बार अब बिहार के लोगों से गुलजार हो रहे हैं. नेपाल के कई इलाकों में शराब परोसने का धंधा चल रहा है. वहीं से तस्करी भी हो रही है. इसी तरह झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा शराबियों के लिए नया ठिकाना बन के उभर रहा है. लेकिन इन तमाम विषमताओं के बावजूद आम जनता बेहद संतुष्ट है. महिलाएं तो 100 फीसदी सरकार के इस फैसले से खुश हैं तो 90 प्रतिशत पुरुष भी मानते हैं कि यह अच्छा कदम है.

शराबबंदी के साईड इफेक्ट
शराबबंदी के कई साईड इफेक्ट भी हैं. बड़े-बड़े होटलों में होने वाली मिटिंग्स अब कम हो रही हैं. शराबबंदी से पर्टयन पर असर पड़ रहा है. यहां तक हड्डी के डॉक्टरों का धंधा भी मंदा हो गया है. दुर्घटनाओं में कमी के कारण अब मरीजों में भी कमी हुई है. क्योंकि पटना बाईपास में जितने नर्सिंग होम्स हैं वहां इसी तरह के मरीज पहुंचते रहते थे.

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अचानक हुई राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू
सरकार ने 1 अप्रैल से देसी शराब में पाबंदी लगाई थी और विदेशी शराब के लिए सरकार खुद उनका आउटलेट खोल रही थी. लेकिन कई जगहों पर लोगों ने विदेशी शराब की इस सरकारी दुकान का विरोध किया और दुकान नही खुलने दी. तब सरकार ने 5 अप्रैल को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी. बिना किसी को समय दिए अचानक से हुई इस बंदी से लोगों को अपने घरों में रखी शराब को नष्ट करने का मौका तक नहीं मिला.

बिहार के होटल और बार रेस्टोरेंट को दो दिन पहले ही एक साल शराब परोसने का लाइसेंस मिला था. लेकिन अचानक सरकार के फैसले से उनका व्यवसाय तबाह हो गया. हांलाकि सरकार ने उनके लाइसेंस फीस लौटाने की बात कही है. लेकिन जिन्होंने इन्फ्रस्ट्रचर पर खर्च किया था वो पटना हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ मामला दर्ज कर विरोध कर रहे हैं. 3 मई को इस मामले की सुनवाई में हाईकोर्ट का क्या फैसला आता है ये देखना महत्वपूर्ण होगा.

शराबबंदी को लेकर सरकार किस कदर गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल के बीच पुलिस ने 19010 रेड की. जिसमें 939 केस शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने वालों पर दर्ज हुए. इस मामले में 1291 लोगों को अब तक जेल भेजा जा चुका है. विधायक और बड़े व्यापारियों पर भी कोताही का कोई मंजर नहीं दिखाई दिया. ऐसे में आम जनता में इस शराबबंदी के कानून का खौफ तो दिखेगा ही.

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