
चीन को लेकर देश का मिजाज जानने के लिए 'आजतक' और इंडिया टुडे ने KARVY इंसाइट लिमिटेड के साथ मिलकर अब तक का सबसे बड़ा ओपिनियन पोल किया है. इसके तहत यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर चीन के मामले में देश की सोच क्या है? चीन जिस तरह से युद्ध की धमकियां दे रहा है, उससे कैसे निपटना चाहिए? इंडिया टुडे ग्रुप के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में हमने लोगों से पूछा कि आखिर चीन से तनातनी के बीच भारत को क्या करना चाहिए?
देश के 23 फीसदी लोग चीन से बातचीत करने के पक्ष में हैं, जबकि 18 फीसदी लोगों को लगता है कि चीन को चेतावनी देनी चाहिए. साथ ही 18 फीसदी लोग ये मानते हैं कि चाइनीज़ सामान का देश में बहिष्कार करना चाहिए. सिर्फ 7 फीसदी लोग चीन से युद्ध के पक्ष में हैं यानी चीन से लड़ना समझदारी नहीं है. बातचीत से मुद्दा हल हो या फिर दूसरे तरीकों से चीन को जवाब दिया जाए.
वैसे यहां यह बताना भी ज़रूरी है कि भारत का स्टैंड यही है कि चीन के साथ बातचीत से ही हल निकले. यह बातचीत चल भी रही है. यह अलग बात है कि इस बातचीत के साथ ही चीन युद्ध की धमकियों की हवा भरने में जुटा है. दूसरी किसी जगह पर घुसपैठ करने के जुगाड़ में लगा है, ताकि बातचीत में भारत पर दबाव बनाया जा सके. अगर हम चीन को लेकर मोदी सरकार के रुख की बात करें, तो सरकार भी चीन के साथ बातचीत के जरिए निपटने के पक्ष में है.