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#BudgetAajTak: राजीव शुक्ला बोले- नोटबंदी की दुनियाभर में निंदा

आजतक बजट कार्यक्रम के स्पेशल सत्र महंगाई को मिलेगी मात सत्र को संचालित करने हुए अंजना ओम कश्यप ने केन्द्रीय राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से सरकार द्वारा मंहगाई को लगाम लगाने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करने के लिए कहा

बजट से कैसे लगेगी मंहगाई पर लगाम बजट से कैसे लगेगी मंहगाई पर लगाम
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

आजतक बजट कार्यक्रम के स्पेशल सत्र महंगाई को मिलेगी मात... सत्र को संचालित करने हुए अंजना ओम कश्यप ने केन्द्रीय राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से सरकार द्वारा मंहगाई को लगाम लगाने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करने के लिए कहा. इस सत्र में विपक्ष से कांग्रेसी नेता राजीव शुक्ला और जेडीयू से के सी त्यागी शामिल थे. सभी नेताओं से राय ली गई कि नोटबंदी के फैसले के बाद अब केन्द्र सरकार को मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए बजट में क्या प्रावधान करने की जरूरत है.

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धर्मेंद्र प्रधान- देश के किसानों को अपने पैर पर खड़ा करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है. एमएसपी और स्वावलंबन परस्पर विरोधी कदम नहीं है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, हर जिले में मास्टर प्लान बनाकर सिंचाई के लिए योजना तैयार की जा रही है. आज 7 लाख करोड़ का क्रूड ऑयल इंपोर्ट करना पड़ रहा है. हमने 121 एथोनॉल प्लांट लगाने की योजना शुरू की है. देश में रोजगार बढ़ाने के लिए, कामकाजी लोगों को हाथ को मजबूत करने के लिए आगामी बजट के जरिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जाने वाला है.

राजीव शुक्ला- नोटबंदी से लोग परेशान हुए हैं. दुनियाभर के सभी एक्सपर्ट ने नोटबंदी की निंदा की है. केन्द्र सरकार तो समर्थन मूल्य को खत्म करने की तैयारी में है, जबकि समर्थन मूल्य किसानों की लाइफ लाइन है. नोटबंदी के बाद बीज और खाद महंगा हो गया है. अब वह सिर्फ समर्थन मूल्य के ही सहारे है. मोदी सरकार ने वादा किया था कि वह समर्थन मूल्य को दोगुना कर देंगें. लेकिन अब आप उसे स्वावलंबी और कॉरपोरेट बनाने की तैयारी में हैं. फसल बीमा योजना और किसानों की कल्याण कारी योजना कांग्रेस के जमाने से चल रही है. मोदी सरकार ने मजबूरी में कांग्रेस की सभी योजनाओं को स्वीकार करना पड़ा. दुनिया के सभी अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि नोटबंदी से भारत का बेड़ा गर्क हो गया है. विकास दर 1 से 1.5 फीसदी गिर गई है. किसानों और मजदूरों की कमर टूट गई है. फैक्ट्रियां बंद हो रही है. ट्रेनों में बड़ी संख्या में लोग घर के लिए पलायन कर रहे हैं. लिहाजा, केन्द्र सरकार को इस बजट को हल्के में नहीं लेना चाहिए. पूरे देश की निगाहें इसी बजट पर है. इस बजट में कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए कि गरीब, मजदूर, किसीन और आम आदमी को नोटबंदी की दिक्कतों से उबरने का मौका मिले.

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केसी त्यागी- बीमा योजना से किसानों को कम और बीमा कंपनीयों को ज्यादा फायदा हो रहा है. रुरल इंडिया और किसान न तो कांग्रेस सरकार के केन्द्र बिंदू थे और न ही मौजूदा मोदी सरकार के. नैशनल हाइवे अच्छा काम था लेकिन जरूरत है कि आगामी बजट में सिंचाई हाइवे की घोषणा की जाए जिसका सीधा फायदा देश में किसानों को पहुंच सके.

बजट आजतक के मंच पर तमाम दलों के नेता बजट से उम्मीदों और उसमें संभावित उपायों पर चर्चा करेंगे.

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