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Exclusive: क्या राजस्थान सरकार गौ तस्करों से पैसे लेकर गाय बेचती है?

राजस्थान सरकार के उस पशु बाजार में आजतक की टीम पहुंची जहां से गायों को खरीदकर ले जाते समय बहरोड में गाय खरीददारों से मारपीट हुई और पहलू खान की मौत हो गई.

जयपुर में पशु बाजार जयपुर में पशु बाजार
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 07 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 8:19 PM IST

राजस्थान सरकार के उस पशु बाजार में आजतक की टीम पहुंची जहां से गायों को खरीदकर ले जाते समय बहरोड में गाय खरीददारों से मारपीट हुई और पहलू खान की मौत हो गई. राजस्थान सरकार के इस पशु बाजार का संचालन जयपुर नगर निगम करता है जहां यूपी, हरियाणा, पंजाब और गुजरात से गायों के खरीददार आए हुए हैं. ये सभी डर के मारे बैठे हुए हैं न तो कोई गाय ला रहा है और न ही कोई गाय खरीद कर ले जा रहा है.

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जयपुर नगर निगम यहां आने वाली और यहां से ले जाए जाने वाली गायों की रशीद काटकर पैसे लेता है. यहां कोई भी गाय आती है तो जयपुर नगर निगम एंट्री के लिए 10 रुपए फीस लेता है और कोई गाय बिकती है तो उसके बदले 650 रुपए रवन्ना फीस लेता है जिसके बदले रशीद दी जाती है. पिचले तीस सालों से चल रहे पशु बाजार में दूसरा किसी तरह का रशीद नहीं काटा गया. फिर सवाल उठता है क्या राजस्थान सरकार जिनसे पैसे लेकर गाय बेच रही है उन्हीं को गौ तस्कर कह रही है. अगर ये गौ तस्कर हैं तो फिर क्या राजस्थान सरकार को भी इसमें शामिल नहीं कहा जा सकता है. यहां ज्यादातर लोग राजस्थान के बाहर से आए हुए हैं और 90 फीसदी व्यापारी मुस्लिम हैं जिनके पास दूध देने वाली गायें हैं और वर्षों से गायों के खरीद-फरोख्त का काम कर रहे हैं.

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पुलिस मांगती है खर्चा-पानी
यूपी के मुजफ्फरपुर से आए शबीबुलालाह कहते हैं कि 18 साल से इसी धंधे में लगे हैं. यहां से गाएं खरीदकर ले जाते हैं और फिर वहां मेले में किसानों को बेचते हैं. हर बार रास्ते में सारे कागज दिखाने पर भी मारपीट की जाती है. कहते भी हैं कि पचास हजार से लाख तक की गाय भला कोई काटने के लिए क्यों ले जाएगा इतनी दूर से लेकिन कोई सुनता नहीं है. पुलिस वाले खर्चा-पानी मांगते हैं और लोग पकड़ लेते हैं तो मारपीट कर लाखों की गाय छीन लेते हैं.

नहीं सूझता दूसरा धंधा
गुजरात के भरुच से आए अद्दा खान के साथ तो कई बार मारपीट हो चुकी है लेकिन बचपन से पिता जी के साथ काम करते आ रहे हैं इसलिए कोई दूसरा धंधा नहीं सूझता है.

आए दिन पिटते रहते हैं
पंजाब से आए डेमूराम ताउ तो कहते हैं कि जयपुर से लेकर पंजाब का कोई डेयरी वाला नहीं है जो मुझे नहीं जानता है. 22 सालों से इस धंधे में हूं. लेकिन अब तो बहुत बुरा हाल हो गया है. बच्चे आए दिन पिटते रहते हैं. अपनी गायों को दिखाते हुए कहते हैं कि बताओ इतनी मंहगी गायें हम काट सकते हैं. सरकार से मांग है कि कोई ऐसा नियम बना दें कि हम आराम से बिना डर के कोई व्यापार कर पाएं.

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नगर निगम करता है मोटी कमाई
आपको बता दें कि, हर शुक्रवार को यहां करीब तीन सौ गाड़ियां भैंसों और गायों से भरकर बिकने के लिए आती हैं और इतनी ही बिक कर जाती हैं. यहां पर पानी-चारा और साफ-सफाई का इंतजाम जयपुर नगर निगम करता है. सैकड़ों बीघे में फैले इस पशु बाजार से जयपुर नगर निगम मोटी कमाई करता है.

मेयर ने किया पशु बाजार बंद करने का एलान
जयपुर नगर निगम के मेयर अशोक लाहोटी गाय को माता और खरीद कर ले जाने वालों को तस्कर कहते हैं. जब हमने उनसे पूछा कि अपनी माता को गौ तस्करों को क्यों सौंप रहे हैं तो मेयर ने मीटिंग बुलाकर पशु बाजार ही बंद करने का एलान कर दिया. आपको बता दें कि राजस्थान सरकार सालाना 6 से 7 करोड़ इस पशु बाजार से कमाती है. इस बाजार में दुधारू गाय खरीदने और बेचने का ही नियम है तो सवाल उठता है कि अगर तस्कर काटी जाने वाली गायें ले कर जाते हैं तो जवाबदेही नगर निगम की क्यों नहीं बनती है.

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