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रियलिटी चेक: गोरखपुर ही नहीं, UP के बाकी शहरों में भी बीमार अस्पताल को 'ऑक्सीजन' चाहिए

गोरखपुर में इतना कुछ हो गया लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार ने सबक नहीं लिया. 'आजतक' ने ऑक्सीजन के सिलिंडरों पर सूबे के अस्पतालों का एक रियलिटी चेक किया. हमें ये जानकर हैरानी हुई कि ज्यादातर अस्पतालों में सिलेंडर के इंतजाम ही मुकम्मल नहीं हैं, जहां हैं भी वहां आधे-अधूरे. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल भी इस बदइंतजामी सेबचा हुआ नहीं है.

सरकारी अस्पताल बदहाल सरकारी अस्पताल बदहाल
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 6:47 AM IST

गोरखपुर में इतना कुछ हो गया लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार ने सबक नहीं लिया. 'आजतक' ने ऑक्सीजन के सिलिंडरों पर सूबे के अस्पतालों का एक रियलिटी चेक किया. हमें ये जानकर हैरानी हुई कि ज्यादातर अस्पतालों में सिलेंडर के इंतजाम ही मुकम्मल नहीं हैं, जहां हैं भी वहां आधे-अधूरे. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल भी इस बदइंतजामी सेबचा हुआ नहीं है. 

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बनारस

य़ये क्योटो ऑफ इंडिया का सबसे बड़ा इलाजखाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपना इलाका है तो लोग आसमानी महसूस करते हैं. लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन का हाल देख लेंगे तो पता चलेगा गोरखपुर से कुछ नहीं सीखा है सरकार ने.

ऑक्सीजन वाला वार्ड ही बंद पड़ा हुआ है. जब 'आजतक' की टीम अस्पताल पहुंची तो पता चला दरवाजा बंद है और कुंडी से ताला लटका हुआ है. जब मरीज ही दाखिल नहीं करेंगे तो बवाल कहां से होगा. जब अस्पताल में हुए कत्लेआम की गालंटी सरकार की नहीं तो बिना इलाज के मौत की गारंटी का सवाल कहां है.

फैजाबाद

फैजाबाद के जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की पाइप 8 बरस पहले डाली गई थी. साढ़े सात करोड़ रुपया बहाया गया था. लेकिन अस्पताल वालों से पूछा कि जब पैसा लगा दिया, पाइप लगा दी तो ऑक्सीजन कहा है. पता चला जो पाइप से लीकेज थी. लीकेज ठीक नहीं हुई, हमने सरकार को बता दिया है और पैसा लगेगा.

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गाजीपुर

गाजीपुर के इस डेढ़ सौ बिस्तरों वाले अस्पताल में कागज पर तो ऑक्सीजन के 40 सिलिंडर हैं. लेकिन जब आजतक ने सिलिंडरों की खोज शुरू की तो पता चला वो धरती से डायनासोर की तरह लुप्त हो गए, 40 में से एक मिला.

बाराबंकी

बाराबंकी के जिला अस्पताल की हालत तो और बुरी थी. यहां बच्चों का वार्ड तो है लेकिन ऑक्सीजन का एक भी सिलिंडर नजर नहीं आया. पूछा ये तो होना ही चाहिए, क्यों नहीं है तो जो जवाब मिला उसे सुनकर सिर घूम गया.

देवरिया

देवरिया के अस्पताल में जो देखा वो और दर्शनीय था. गोरखपुर की घटना के बाद भी अस्पताल ऑक्सीजन को मजाक माने बैठा है. अस्पताल के पास जरूरतों को पूरा करने के लिए एक शानदार ऑक्सीजन प्लांट है. लेकिन ऑपरेटर कामचलाऊ व्यवस्था के तहत काम कर रहे हैं. वो कहते हैं हमें समय से तनख्वाह नहीं मिलती यही हाल रहा तो किसी भी दिन काम छोड़कर चल देंगे.

'आजतक' की रियलिटी चेक में पता चला है कि 64 मौतों की अटारी पर बैठकर भी यूपी के आकाओं को होश नहीं आया है कि चलना कैसे है और करना क्या है. राम पर ऐसा भरोसा तो भरत को भी नहीं रहा होगा.

 

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