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3 मिनट में एक्शन में आती है हॉवित्जर, 40KM दूर बैठे दुश्मन को कर सकती है बर्बाद

आजतक के जयपुर से जैसलमेर पहुंचने की यात्रा का सबसे कठिन पड़ाव आगे था, लगभग 50 किलोमीटर लंबे मैदान में बिछी रेत की चादर देखने में सुरक्षित लेकिन खतरनाक थी. बहरहाल जैसलमेर के रेगिस्तान में टेस्टिंग स्पॉट पर ऑर्टिलरी रेजिमेंट के कर्नल सौरभ भट्ट और उनके साथी जवानों के बीच 4.4 टन की हॉवित्जर तोपों को देख रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

हॉवित्जर तोप हॉवित्जर तोप
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2017,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

भारतीय सेना के शस्त्रागार में जल्द ही शामिल होने जा रही हॉवित्जर तोपों की फील्ड टेस्टिंग देखने के लिए आजतक जयपुर से 600 किलोमीटर की दूरी तय करके जैसलमेर पहुंचा. बता दें कि भारत सरकार ने अमेरिका को 145 एम 777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपों का ऑर्डर दिया है. इनमें हर एक की कीमत 30 करोड़ पड़ी है.
 
आजतक के जयपुर से जैसलमेर पहुंचने की यात्रा का सबसे कठिन पड़ाव आगे था, लगभग 50 किलोमीटर लंबे मैदान में बिछी रेत की चादर देखने में सुरक्षित लेकिन खतरनाक थी. बहरहाल जैसलमेर के रेगिस्तान में टेस्टिंग स्पॉट पर ऑर्टिलरी रेजिमेंट के कर्नल सौरभ भट्ट और उनके साथी जवानों के बीच 4.4 टन की हॉवित्जर तोपों को देख रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
 
आजतक की टीम यहां हॉवित्जर की फायरिंग टेबल के फार्मेशन को देखती है. फायरिंग टेबल का उपयोग फील्ड फायरिंग के दौरान किया जाता है. इसमें तुलनात्मक और जुटाए गए डाटा होते हैं. हॉवित्जर से फायर किया गया हर एक शॉट रिकॉर्ड किया जाता है. इसमें ट्रेजेक्ट्री, स्पीड, फ्रीक्वेंसी, रेंज इत्यादि को मॉनिटर किया जाता है और डाटा रिकॉर्ड किए जाते हैं.
 
यहां बीएई सिस्टम्स के अमेरिकी और स्विस रिसर्चर और जवान डाटा इकट्ठा करने में भारतीय जवानों की मदद करते हैं. बीएई सिस्टम्स ही भारत को हॉवित्जर तोप सप्लाई करेगा. इस डाटा का उपयोग युद्ध के दौरान फायरिंग के लिए किया जाता है, जोकि बेहद महत्वपूर्ण है.
 
हॉवित्जर तोप को एक्शन में आने में केवल तीन मिनट लगते हैं और पैक करने में 2 मिनट का समय लगता है. हॉवित्जर में 155mm के सभी तरह गोला बारूद इस्तेमाल किए जा सकते हैं. हालांकि अभी इसे केवल चार प्रकार के 155mm गोला बारूद से टेस्ट किया जा रहा है. इसमें एचई, स्मोक, इल्युमिनेशन और फायर शामिल हैं.
 
हालांकि अभी तक इंडियन आर्मी को केवल 2 हॉवित्जर तोपें मिली हैं. इन दोनों को मिलाकर कुल 25 हॉवित्जर अमेरिका से रेडिमेड तैयार होकर भारत आएंगी, जिनमें से दो पहले आ गई हैं. शेष 120 हॉवित्जर तोपें भारत में महिंद्रा डिफेंस और बीएई सिस्टम्स मिलकर बनाएंगी.
 
11 टन की बोफोर्स तोप के मुकाबले हॉवित्जर बहुत हल्की है. साथ ही आकार में भी यह उसकी आधी है और लाने ले जाने में काफी सुविधाजनक है. इसे सुमद्र के जरिए भी ले जाया जा सकता है तो हवा में भी लिफ्ट किया जा सकता है.
 
हॉवित्जर तोप बिच्छु की तरह बैठी रहती है. यानी दुश्मनों के लिए इसे खोज पाना भी आसान नहीं होगा. डायरेक्ट रेंज में 4 किलोमीटर और इनडायरेक्ट रेंज में 30 से 40 किलोमीटर तक हॉवित्जर दुश्मन के ठिकानों को आसानी से बर्बाद कर सकती है.
 
भारतीय सेना ने आजतक को हॉवित्जर की फायर पावर को भी दिखाया, लेकिन हॉवित्जर की गर्जना इसके प्रभाव को बता पाने में पूरा न्याय नहीं करती है. ये रहे आंकड़े: 50 मीटर की दूरी पर मौजूद दुश्मन के लिए हॉवित्जर प्राणघातक है, जबकि इसकी डेंजर रेंज 250 मीटर की है. 155mm के 45 किलोग्राम वाले गोला बारूद में 10 किलोग्राम विस्फोटक होता है और 35 किलोग्राम लोहा होता है.
 
पोखरण की रेगिस्तानी सीमाएं अब इन तोपों की अभ्यस्त हो चुकी है, जोकि गरजने और दुश्मनों के खेमे में सिहरन पैदा करने के लिए मशहूर हैं.

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