
15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में स्किल्ड और नॉन स्किल्ड मजदूरों का न्यूनतम वेतन 14 से 17 हजार रुपये करने का ऐलान क्या किया, पार्टी में उनके अपने ही विरोध पर उतर आए. आम आदमी पार्टी की ट्रेडर्स विंग ने मुख्यमंत्री के इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है और ये भी धमकी दी है कि अगर मंत्रिमंडल की बैठक में फैसले पर पुनर्विचार कर इसे बदला नहीं गया तो दिल्ली बंद कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
सरकार ने नहीं की अपनी ही पार्टी के ट्रेडर्स विंग से कोई चर्चा!
अलग-अलग ट्रेडर्स एसोसिएशन ने केजरीवाल सरकार के इस फैसले को सरकार की एंटी-ट्रेडर पॉलिसी का हिस्सा बताते हुए विरोध प्रदर्शन का माहौल बनना शुरू कर दिया है. AAP की ट्रेडर्स विंग के संयोजक
ब्रजेश गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस अचानक लिए फैसले पर 100 से ज्यादा व्यापारी समूहों के फोन उनके पास आए हैं और तमाम व्यापारी संगठन हैरान हैं. दिल्ली में पहले से ही न्यूनतम वेतन
बाकी राज्यों की तुलना में तीस फीसदी तक ज्यादा है. ऐसे में 50 फीसदी और इजाफा करने का कोई तुक नहीं बनता है.
गोयल ने कहा कि पार्टी में लोकतांत्रिक तरीके से इस मसले को उठाया जाएगा. व्यापारी चाहते हैं कि मंत्रिमंडल की बैठक में इस फैसले पर पुनर्विचार हो और फैसला वापस लिया जाए. इस बात पर आगे जाते हुए गोयल यह भी कहते हैं कि पार्टी के ट्रेडर्स विंग के लिए व्यापारियों के हित सर्वोपरि हैं और अगर सरकार फैसले पर कायम रहती है तो दिल्ली बंद कर ट्रेडर विंग अपनी ही सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. अगर ये फैसला अमल में आया तो तमाम उद्योग धंधे दिल्ली से पलायन करना शुरू कर देंगे क्योंकि दिल्ली में व्यवसाय करना घाटे का सौदा हो जाएगा.
क्या केजरीवाल चाहते हैं कि हम काम-धंधा बंद कर दें?
एनडीटीए यानी नई दिल्ली ट्रेडर्स असोसिएशन के महासचिव विनय बहल कहते हैं कि वोट मांगते हुए केजरीवाल ने कहा था कि सरकार हर तबके को साथ लेकर चलेगी लेकिन अब व्यापारियों को पूरी तरह भुला दिया गया
है. जिस तरह एंटी ट्रेडर फैसले लिए जा रहे हैं उसे देखते हुए लगता है कि काम-धंधा बंद ही करना पड़ेगा. न्यूनतम वेतन में पचास फीसदी बढ़ोतरी का सीधा मतलब ये है कि इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा क्योंकि व्यापारियों को
कर्मचारियों को ब्लैक में तनख्वाह देनी पड़ेगी. कम्प्लायंस की दिक्कत बढ़ेगी. सरकार का ये फैसला आत्मघाती है.
उप मुख्यमंत्री मिलेंगे ट्रेडर्स एसोसिएशनों से
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बुधवार को AAP की ट्रेडर्स विंग के साथ-साथ दिल्ली के अलग-अलग ट्रेडर्स एसोसिएशनों से मिलेंगे. सूत्र बता रहे हैं कि सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय की सलाह पर लिए गए
इस फैसले पर केजरीवाल सरकार पुनर्विचार करेगी क्योंकि फैसला जमीनी हकीकत से दूर है. फिलहाल न्यूनतम वेतन में पचास फीसदी का इजाफा किसी नजरिए से तार्किक कदम नहीं है क्योंकि दिल्ली में व्यापारियों की
हालत पहले ही खराब है. व्यापार घाटा बढ़ रहा है और सरकार के टैक्स कलेक्शन में भी कमी आ रही है.