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राहुल ही नहीं, AAP भी सोशल मीडिया में 'लखपति', जानें- क्या है असली खेल

लाखों की तादाद में अचानक आम आदमी पार्टी से जुड़े सोशल मीडिया समर्थकों की हकीकत क्या है? यह समर्थक कहीं फेक तो नहीं हैं? या फिर महज प्रसिद्धि के लिए यह आम आदमी पार्टी की कोई नई रणनीति तो नहीं है?

अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST

सोशल मीडिया पर जहां हालिया दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बयानों और उनके समर्थकों को लेकर चर्चा हो रही है. वहीं 4 साल पुरानी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने भी पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर लाखों समर्थक जुटाए हैं.

लाखों की तादाद में अचानक आम आदमी पार्टी से जुड़े सोशल मीडिया समर्थकों की हकीकत क्या है? यह समर्थक कहीं फेक तो नहीं हैं? या फिर महज प्रसिद्धि के लिए यह आम आदमी पार्टी की कोई नई रणनीति तो नहीं है? इन तमाम सवालों के जवाब खंगाले की कोशिश की आज तक संवाददाता आशुतोष मिश्रा ने.

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ट्विटर

लगभग 4 साल से ज्यादा पुरानी आम आदमी पार्टी के ट्विटर पेज पर मार्च 2017 तक 4.1 मिलियन फॉलोअर्स थे लेकिन अप्रैल 2017 से लेकर के अक्टूबर के तीसरे हफ्ते तक आम आदमी पार्टी के ट्विटर पेज के समर्थकों में भारी इजाफा हुआ है और पार्टी के ट्विटर पेज से लगभग 10 लाख नए समर्थक और जुड़ गए हैं.

फेसबुक

यह केवल आप के ट्विटर अकाउंट नहीं बल्कि फेसबुक अकाउंट का भी है. फेसबुक पर आम आदमी पार्टी की पहुंच 1.2 मिलियन तक हो गई है. पार्टी के साइबर सेना के सदस्य बताते हैं Facebook पर पार्टी की पहुंच पिछले 5 महीनों में 50% तक ज्यादा और सक्रिय तरीके से बढ़ गई है.

अब सवाल यह है कि आखिर इन चार पांच महीनों में आम आदमी पार्टी को इतने समर्थक कैसे मिले? क्या समर्थन जुटाने के लिए नकली अकाउंट का सहारा लिया गया है? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए हमने आम आदमी पार्टी के फेसबुक पेज और ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किए जाने वाले संदेशों की तुलना की. पंजाब विधानसभा चुनाव और दिल्ली के नगर निगम चुनाव तक आम आदमी पार्टी उनके तमाम नेता पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर लगभग हर रोज हमले बोलते रहे. आए दिन नए- नए मुद्दों पर आम आदमी पार्टी का पूरा नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पर हमले करता रहा. लगभग 1 साल से ज्यादा चली इस पूरी श्रृंखला को एक वक्त के बाद नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने लगीं.

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आम आदमी पार्टी सूत्रों के मुताबिक दिल्ली का नगर निगम चुनाव हारने के बाद पार्टी ने मंथन किया और अपनी रणनीति में भारी बदलाव लाने का निर्णय किया. इस बदली रणनीति का असर आम आदमी पार्टी के नेताओं में पिछले चार पांच महीनों में दिखने लगा चाहे वह मीडिया में दिए गए उनके बयान हो या फिर सोशल मीडिया में उनकी प्रतिक्रियाएं. लगातार चुनाव हारने के बाद एक नई रणनीति से आम आदमी पार्टी ने सोशल मीडिया पर बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार को छोड़कर आम आदमी पार्टी की सरकार और पार्टी की नीतियों के सकारात्मक मुद्दों पर बातचीत शुरु कर दी. आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया के सदस्यों और नेताओं को भी दिल्ली सरकार के फैसलों को जनता के बीच ले जाने के निर्देश दिए गए. फेसबुक से लेकर ट्विटर पर दिल्ली सरकार द्वारा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में उठाए हर कदम और हर फैसले को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करने की रणनीति बनाई गई.

इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया टीम की पूरी कमाई पार्टी के समर्थक पर अरविंद केजरीवाल के करीबी अरविंद झा को सौंप दी. पिछले कुछ महीनों में आम आदमी पार्टी द्वारा विपक्षी दलों और खासकर बीजेपी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में एक बड़ी तब्दीली नजर आई है. पार्टी नेताओं और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा आक्रामक भाषा और भूमिका को छोड़ पार्टी ने सोशल मीडिया पर कटाक्ष और कार्टूनों का सहारा लिया.

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पार्टी के सोशल मीडिया प्रभारी अरविंद झा ने आजतक से बातचीत में कहा कि सोशल मीडिया पर नेताओं के बयानों से ज्यादा कार्टून का असर होता है क्योंकि कार्टूनों को बोलने के लिए भाषा की जरूरत नहीं होती और यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने में कारगर साबित होते हैं साथ ही कार्टून से संदेश बेहतर माध्यम से पहुंचता है.

कैसे बड़े सोशल मीडिया पर आप के समर्थक?

आम आदमी पार्टी के IT सेल के मुखिया अरविंद झा ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में पार्टी ने सोशल मीडिया पर ढांचा गत परिवर्तन किया है जिसके तहत पार्टी की दिल्ली में सरकार नेतृत्व कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया टीम के बीच एक तालमेल स्थापित किया गया है जिसकी पहले कमी थी. आम आदमी पार्टी के फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर कार्टून के अलावा केजरीवाल सरकार के फैसलों और प्रोजेक्ट की छोटी-छोटी वीडियो क्लिप भी शेयर की जा रही है.

अरविंद झा कहते हैं कि साधारण फोटो के मुकाबले इन छोटी-छोटी वीडियो को ज्यादा समर्थन मिल रहा है और जिसके जरिए आम आदमी पार्टी अपनी बात मजबूत तरीके से सामने रख पा रही है. मैं चार-पांच महीने में लाखों समर्थकों के पार्टी के सोशल मीडिया से जुड़ने के सवाल पर अरविंद झा ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने लोगों के बीच अपनी नीतियां और सरकार के कामों को ले जाने की कोशिश की है. अरविंद झा के मुताबिक दिल्ली के नगर निगम चुनाव तक सरकार द्वारा दिल्ली में किए जा रहे कामकाज के बारे में लोगों तक जानकारी नहीं पहुंच पा रही थी और यह एक बड़ी वजह थी जिससे हम लोगों तक ना पहुंच पा रहे थे और ना ज्यादा लोगों को पार्टी से जोड़ पा रहे थे.

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आम आदमी पार्टी ने अपने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट से पूछे जाने वाले संदेशों की संख्या में भी बदलाव किया. मार्च 2017 तक जहां औसतन आम आदमी पार्टी सोशल मीडिया पर 24 से 30 संदेश पोस्ट करती थी उसे घटाकर 16 से 18 कर दिया गया है. इन सभी पोस्ट पर सरकार से जुड़े वीडियो या फिर विपक्ष के खिलाफ कार्टून के जरिए मुद्दों पर चर्चा की जा रही है. आपके सोशल मीडिया प्रमुख अरविंद झा कहते हैं कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की संख्या कम करने के बावजूद उसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. अरविंद झा का कहना है कि विपक्षी दल होने के नाते हम बीजेपी और केंद्र सरकार पर सवाल उठाना नहीं छोड़ सकते क्योंकि मौजूदा हालात में अर्थव्यवस्था से लेकर सामाजिक समरसता में जो बदलाव देखने को मिल रहा है उसके लिए सवाल उठाना जरूरी है.

अरविंद झा ने बताया कि इन सवालों का तरीका आम आदमी पार्टी ने अब बदल दिया है. अर्थव्यवस्था से लेकर के नफरत की राजनीति तक हर मुद्दों पर वह सरकार को कटाक्ष या कार्टून के जरिए घेरने की कोशिश कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी अगले महीने से सोशल मीडिया पर एक नया प्रयोग करने जा रही है. इस प्रयोग के तहत पार्टी अब सभी राज्यों में सोशल मीडिया की टीम गठित करेगी और इसी प्रयोग के तहत हर राज्यों में मौजूदा राज्य सरकारों के कामकाज की तुलना दिल्ली में केजरीवाल सरकार के कामकाज से की जाएगी. विपक्षी पार्टियों की सरकार और आपकी सरकार के कामकाज केस तुलना को वीडियो अथवा ग्राफिक्स के जरिए असरदार कंटेंट बना कर उसे सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जाएगा.

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कैसे काम करती है आप की सोशल मीडिया टीम?

अरविंद सिंह के मुताबिक एक फुल टाइम सोशल मीडिया टीम बनाकर उसकी और उसके कामकाज की साप्ताहिक समीक्षा की जाती है. समीक्षा में जिस तरह के कंटेंट को ज्यादा समर्थक और ज्यादा असर मिलते हैं उस तरह के कंटेंट को और आक्रामक तरीके से सोशल मीडिया पर प्रसारित कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने और उन्हें जोड़ने की कोशिश की जाती है.

नेताओं की सक्रियता बढ़ाई

आम आदमी पार्टी ने अपने उन सभी नेताओं की सक्रियता सोशल मीडिया पर बढ़ा दी है जो मीडिया से बातचीत करते तो नजर आते हैं लेकिन सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं थे. इनमें पार्टी के विधायकों से लेकर बड़े नेताओं तक को शामिल किया गया है और उन्हें हिदायत दी गई है वह सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा नई रणनीति के मुताबिक सक्रिय रहें. इतना ही नहीं नेताओं को सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक पोस्ट करने की सलाह दी गई है.

राहुल गांधी सोशल मीडिया विवाद

राहुल गांधी के सोशल मीडिया अकाउंट और उनके ट्वीट को रिट्रीट मिलने के मुद्दे पर बात करते हुए आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया हेड अरविंद झा ने आज तक से कहा कि बोट्स द्वारा सोशल मीडिया अकाउंट्स का प्रसार नई बात नहीं है क्योंकि यह अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में भी देखने को मिला था जिसे रूस ने काफी इस्तेमाल किया था. अरविंद झा के मुताबिक बोट्स के इस्तेमाल से परिपेक्ष बदलने में मदद मिलती है लेकिन यह पूर्णकालिक नहीं है. अरविंद झा के मुताबिक सिर्फ बोट्स नहीं बल्कि राहुल गांधी के हालिया दिनों में सोशल मीडिया पर जारी बयान और उनकी शैली में आया बदलाव भी लोगों को पसंद आ रहा है जिसकी वजह से उन्हें समर्थन मिल रहा है.

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